शिवपाल की जनाक्रोश रैली में मुलायम को बुलावा नहीं!

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मुलायम का भाई प्रेम किसी से छिपा नहीं है, लेकिन ये सियासत जो न कराए वो थोड़ा है। अब दोनों भाईयों मुलायम व शिवपाल के बीच दरार पड़ती नजर आ रही है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि जिस तरह के हालत पैदा हो रहे हैं कयास ऐसे ही लगाए जा रहे है कि दोनों भाईयों के बीच दरार पड़नी शुरू हो गई है। दरअसल, शिवपाल अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजपार्टी की पहली रैली जनाक्रोश रैली 9 दिसंबर को कर रहे हैं।

इस रैली के चलते वो प्रदेश के सियासी दलों में अपना शक्तिप्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। इस रैली में सभी को निमंत्रण दे रहे हैं लेकिन खुद अपने भाई को बुलावा नहीं भेजा है। सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के अनुसार शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव को इस रैली का निमंत्रण ही नहीं दिया है। पार्टी का कहना है वो मुखिया है वो चाहे तो आ सकते है लेकिन बुलावा नहीं भेजा गया है।

शिवपाल के इंतजामों पर फेरा था मुलायम ने पानी

अपने भाई के नाम के कसीदे पढ़ने वाले शिवपाल यादव का भाई मुलायम को निमंत्रण न देने के पीछे कहीं नाराजगी तो नहीं? दरअसल 23 नवंबर को सपा मुखिया मुलायम का जन्मदिन था। इस मौके पर शिवपाल ने पूरे इटावा को दुल्हन की तरह सजाया था। दंगल से लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया था, लेकिन मुलायम इटावा न जाकर लखनऊ के सपा कार्यालय जा पहुंचे थे। वहां मुलायम सिंह यादव ने केक काटकर जन्मदिन मनाया था। शायद मुलायम का इटावा में कार्यक्रम से नदारद रहना शिवपाल को अखर गया।

शिवपाल के जवाब से सब हैरान

शिवपाल के बयान ने सभी को हैरत में डाल दिया था। दरअसल मीडिया ने सवाल किया था कि उनकी इस रैली में क्या मुलायम सिंह शामिल होंगे? तो शिवपाल यादव ने दो टूक कहा कि नेता जी का आना या ना आना अब कोई मुद्दा नहीं है। शिवपाल के इस जवाब ने सभी को चौंका दिया है क्योंकि अभी तक शिवपाल हर मंच से कहते रहते हैं कि नेताजी मेरे साथ हैं और देखा भी यही गया है कि शिवपाल के साथ कई कार्यक्रमों में मुलायम सिंह यादव मंच साझा करते नजर आएं हैं। अब ऐसे में शिवपाल यादव का ऐसा दो टूक कहना लोगों को खटक रहा है। उनके इस जवाब के लोग यही मायने निकाल रहे हैं कि शायद शिवपाल के लिए नेता जी का आना न आना कोई महत्व नहीं रखता।

कशमकश में मुलायम

मुलायम भी अजीब कशमकश में पड़े हैं। एक तरफ उनके भाई शिवपाल हैं तो तो दूसरी तरफ उनका बेटा। भारतीय परंपरा में कहा भी गया है हर पिता को अपना बेटा परम प्रिय होता है लेकिन ये राजनीति है इसमें तो कुछ कहा नहीं जा सकता। कब किसका क्या हो जाए। फिलहाल मुलायम अगर बेटे की तरफ जाते हैं तो भाई छूट जाता है अगर भाई की तरफ जाते हैं तो बेटा।

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