भेड़पालकों के साथ नाइंसाफी, ऊन जलाने पर हो रहे मजबूर
राज्य सरकार के खर्चे पर मिर्जापुर के सिरसी गहरवार में चलाया जा रहे भेड़पालन केंद्र की हालत बद से बदतर हो चुकी है। इस केंद्र में करीब 300 लोग काम करते हैं और भेड़ों का का पालन करते हैं। इतनी ज्यादा तादाद में भेड़पालन का काम चलने के बाद भी यहां के लोगों की आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि यहां पर पैदा किया जा रहे ऊन को कोई खरीदने वाला नहीं है और न ही इसपर सरकार कोई ध्यान दे रही है।
300 लोगों का स्टॉफ होने के बाद भी ये हालात
भेड़पालकों के बीच जब विंध्याचल मण्डल के आयुक्त श्री मुरलीमनोहर लाल पहुंचे एवं हाल जानने के लिए मंच पर जाने के बजाय सीधे संवाद शुरू किया तो सब अवाक हो गए । फिर तो कमिश्नर के तेवर गर्म इसलिए हुए कि भेड़ों के बाल (ऊन) खरीदे न जाने पर उसे जलाने के लिए भेड़पालक मजबूर हुए हैं तथा चार प्रथम श्रेणी सहित तीन सौ स्टाफ का सघन भेड़ पालन विभाग सारे हालातों से बेखबर वेतन लेकर सो रहा है ।
मण्डलायुक्त ने चौपाल लगाई
यह स्थिति बुधवार को सिटी ब्लाक के सिरसी गहरवार ग्राम में भेड़पालकों के चौपाल की है । इस विभाग से प्रायः बेखबर लोगों को पहली बार लगभग एक हजार भेड़ लेकर आए 58 भेड़पालकों के साथ किसी मण्डलायुक्त ने चौपाल लगाई । मंच बना था । कमिश्नर की गाड़ी रुकी ही थी कि संबंधित मातहत उन्हें मंच की ओर ले जाने लगे लेकिन उनकी नजर पहाड़ी इलाके के सैकड़ों पेड़ों के नीचे अलग अलग जत्थे में जुटे भेड़पालकों पर गयी ।
ऊनों की नहीं हो रही है खरीदारी
कमिश्नर श्री लाल मंच पर न जाकर भेड़पालकों की ओर जब मुड़े तो इस बार वाणी मुखर हुई भेड़पालकों की और मूक हो गए सम्बन्धित विभाग के अधिकारी । एक अपर निदेशक तथा तीन संयुक्त विकास निदेशकों वाले विभाग में जिले के 97 हजार भेड़ों के बावजूद एक किलो ऊन नहीं खरीदा गया पिछले एक साल में जबकि भेड़पालक भेड़ों के बाल काटकर रखते हैं कि विभाग उनके ऊन को बाजार में नीलामी के जरिए बेचकर आजीविका के लिए पैसा दिलाएगा ।
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अधिकारियों ने माना गलती हुई
कमिश्नर ने जब इसका कारण जानना चाहा तो अनेक बहाने शुरू हुए लेकिन जिरह में टूट गए विभागीय अधिकारी और कबूल किया कि उनसे चूक हुई है और मई 2017 के बाद ऊन की खरीददारी नहीं की गई जबकि प्रति भेड़ आठ सौ ग्राम ऊन खरीदने का निर्देश है । पिछले साल भी मात्र 114 कुंतल खरीद हुई थी। मण्डलायुक्त श्री मुरलीमनोहर लाल ने इस लापरवाही को गम्भीरता से लिया कि जो भेड़पालक बोल नहीं पाते, गोल बनाकर धरना नहीं देते उनके साथ घोर ना-इंसाफी हुई है ।
उन्होंने इस लापरवाही पर विभाग के लखनऊ में बैठे डायरेक्टर से बात की तथा उचित एक्शन तत्काल लेने के लिए कहा । कमिश्नर ने ऊन के विपणन के साथ भेड़ों के समुचित दवा-इलाज पर भी जोर दिया । इसी के साथ अधिक भेड़ रखने वालों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय के साथ अन्यों को सांत्वना पुरस्कार भी दिया । इस चौपाल में मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन भी थी ।