स्मार्ट सिटी से ज्यादा जरूरी महिलाओं की सुरक्षा
खुशी है कि चंडीगढ़ का वर्णिका कुंडू मामला सामने आने के बाद पुरुषों द्वारा महिलाओं का पीछा किए जाने, जिसे अंग्रेजी में ‘स्टॉकिंग’ कहा जाता है, पर फिर से बहस तो शुरू हुई। हर ऐसी घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर चर्चा छिड़ जाती है, लेकिन कुछ दिन बाद बात फिर सर्द पड़ जाती है।
हमारे देश में तथाकथित मर्दो द्वारा महिलाओं का पीछा कर शोषण किए जाने का चलन पुराना है। मलाल सिर्फ इस बात का है कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की बेटी होने के नाते वर्णिका के मामले ने तूल पकड़ा और आरोपियों की दोबारा गिरफ्तारी तक संभव हो पाई। महिलाएं स्टॉकिंग का शिकार आए दिन होती रहती हैं, लेकिन प्रशासन ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं देता। पुलिस तो ऐसे मामलों को दर्ज करने लायक भी नहीं मानती।
10 में 6 महिलाएं स्टॉकिंग का शिकार
देश में अमूमन 10 में से 6 महिलाएं स्टॉकिंग का शिकार होती हैं, जिनमें से अधिकतर मामले या तो पुलिस थानों तक पहुंचते ही नहीं और कई बार पीड़िताएं ही इन मामलों को इतना हल्के में ले लेती हैं कि उन्हें इसका भारी खामियाजा उठाना पड़ता है।
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क्या कहते हैं आंकड़े?
महिलाओं के खिलाफ अपराध के बीते कुछ वर्षो के आंकड़े जानकर आप भौंचक्क रह जाएंगे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों की बात करें, तो साल 2015 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.27 लाख मामले दर्ज हुए थे, जिनमें स्टॉकिंग के 62,66 मामले सामने आए थे। इन अपराधों को अंजाम देने वालों की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है।
साल 2011 से 2015 के दौरान महिलाओं के अपहरण के मामले बीते वर्षो की तुलना में 35,565 से बढ़कर 59,277 हो गए। समझना आसान है कि महिलाओं द्वारा इन मामलों को नजरअंदाज किए जाने और शिकायत के बाद जरूरी कार्रवाई न होने पर ऐसे मर्दो का हौसला बुलंद हुआ है, तभी तो इस तरह के अपराध तेजी से बढ़े हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम देश में बढ़ रहे स्टॉकिंग के मामलों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र तक लिख चुकी हैं। वह कहती हैं, “स्टॉकिंग के मामलों को और गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। इससे संबंधित कानून में संशोधन कर अब सजा को और सख्त किया जाना जरूरी बन पड़ा है।”
वर्णिका मामले में बराला को बचा रही सरकार
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय सिंह चौटाला कहते हैं, “वर्णिका मामले में मुख्यमंत्री खट्टर साफतौर पर सुभाष बराला को बचाने में लगे हुए हैं। सुभाष बराला के बेटे पर इतना संगीन आरोप है, उन्हें तो तत्काल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। मगर अभी भी मामले की लीपा-पोती की कोशिश की जा रही है।”
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देश में स्टॉकिंग को लेकर हमारे कानून में कई तरह की खामियां सामने आई हैं। आईपीसी की धारा 354डी के तहत इस तरह के अपराधों के लिए तीन साल कैद तक की सजा का प्रावधान है, लेकिन असल में अब तक कितने लोगों को स्टॉकिंग के जुर्म में सजा हो पाई है? पीछा किए जाने को लेकर बने कानून को और सख्त किए जाने के सवाल पर ललिता कुमारमंगलम कहती हैं, “यकीनन इन्हें और सख्त बनाया जाना चाहिए और कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए।”
निर्भया कांड के बाद जारी 3 हजार करोड़ का फंड कहां गया?
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के बाद केंद्र सरकार ने बड़े जोर-शोर से महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर 2015 में 3,000 करोड़ रुपये का निर्भया फंड शुरू किया था। इसी निर्भया फंड के बारे में समाजवादी पार्टी की नेता जूही सिंह कहती हैं, “हम जानना चाहते हैं कि निर्भया फंड कहां-कहां खर्च हुआ है, क्योंकि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ खास तो अभी तक हुआ नहीं है। केंद्र सरकार सैकड़ों स्मार्ट सिटी बनाने की बात तो डंके की चोट पर करती है, लेकिन सरकार महिलाओं की सुरक्षा के बगैर किस तरह की स्मार्ट सिटी बनाने पर तुली है।”
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