दो महान हस्तियों को स्मरण करने का दिन
देवप्रिय अवस्थी
आज का दिन देश की दो महान हस्तियों को स्मरण करने का दिन है। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल आज के ही दिन जन्मे थे और लौह महिला इन्दिरा गांधी आज के दिन ही शहीद हुई थीं। दोनों ने देश को बनाने के लिए और उसकी एकता कायम रखने के लिए अनथक काम किया इसलिए दोनों के साथ लौह विशेषण जुड़ गए थे।
सरदार पटेल सरीखी अदम्य इच्छाशक्ति वाला व्यक्तित्व हमारे देश में नहीं हुआ होता तो संभवत: आज देश का जो नक्शा है वह भी हमें देखने को नहीं मिलता। रियासतों के विलीनीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पटेल को साम, दाम, दंड, भेद के जो तरीके अपनाने पड़े उनके किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है। लेकिन उनके एक योगदान पर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। वह है 1942 में अमूल डेयरी की स्थापना।
यह सरदार की ही दूरदृष्टि थी कि दुग्ध सहकारिता के महत्व को उन्होंने अब से 75 बरस पहले भांप लिया था और वर्गीज कुरियन सरीखे समर्पित व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी। आज दूध और दूध उत्पादों का जिक्र छिड़ते ही भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अमूल का नाम जुबान पर आ जाता है। अमूल की सफलता पटेल को देश का अप्रतिम श्रद्धांजलि है।
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1965 की गूंगी गुड़िया से 1971आते आते लौह महिला में तब्दील हुईं इन्दिरा गांधी के देश में इमर्जेंसी लगाने और कांग्रेस को वंशवादी व व्यक्तिवादी पार्टी में तब्दीलकरने के दोषों को छोड़ दें तो वह संघर्ष, त्याग और दृढ़ इच्छाशक्ति का अनुपम उदाहरण थीं। उनकी मध्य से वाम की ओर झुकाव रखनेवाली नीतियां संभावनाओं से भरपूर थीं। अगर उन नीतियों पर ठीक से अमल हुआ होता तो शायद देश में पूंजीवाद का आज जैसा बोलबाला नहीं होता।
प्रीवी पर्स की समाप्ति, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, सिक्किम का भारतीय संघ में विलय, पहला परमाणु परीक्षण और बांग्लादेश को स्वतंत्र कराना इन्दिरा गांधी की ऐसी उपलब्धियां हैं जिन्हें देश कभी भुला नहीं सकता है।हमारी जिम्मेदारी हैकि सरदार पटेल और इन्दिरा गांधी-दोनों लौह व्यक्तित्वों को क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों की बलि चढाने का कोशिशें कभी परवान नहीं चढ़ने पाएं. दोनों को पुन: पुन: नमन।
(देवप्रिय अवस्थी अमर उजाला के प्रबंध संपादक व सलाहकार रह चुके हैं। इसे उनके फेसबुक वाल से लिया गया है)