उत्तर भारत में गर्मी का सितम का रेड अलर्ट? क्या है हीटवेव …

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नई दिल्ली: देश की राजधानी समेत देश के तमाम राज्य इस समय भीषण गर्मी से झुलस रहे है. इसी बीच मौसम विभाग ने पूरे उत्तर भारत में हीटवेव का अलर्ट जारी किया है. विभाग के अनुसार नॉर्थ वेस्ट और सेंट्रल इंडिया में अगले एक सप्ताह तक टेंपरेचर दो से तीन डिग्री ज्यादा रहने की संभावना है. उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ और पंजाब सबसे ज्यादा गर्मी की मार झेल रहे हैं.

एक सप्ताह जारी रहेगी हीटवेव…

बता दें कि, भारत मौसम विज्ञान विभाग के प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि उत्तर भारत में अभी अगले एक सप्ताह तक हीटवेव की स्थिति रहेगी. इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के लिए हीटवेव का रेड अलर्ट जारी है.

क्या है हीटवेव ?…

हीटवेव का मतलब है कि किसी इलाके में असामान्य रूप से बहुत ज्यादा तापमान हो जाना. IMD के मुताबिक,जब किसी इलाके का तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है तो यह हीटवेव
में परिवर्तित हो जाती है. मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी इलाकों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक टेंपरेचर को हीटवेव की स्थिति माना जाता है.

क्यों बनती है हीटवेव की स्थिति?…

तो हीटवेव की कंडीशन बनती क्यों है? IMD के मुताबिक जब ऊपरी वायुमंडल में उच्च दबाव वाला क्षेत्र मजबूत होता है और कई दिनों तक एक ही क्षेत्र में हवा का हाई प्रेशर बहुत ज्यादा रहता है तो हीटवेव की कंडीशन बनती है. IMD के अनुसार जब जमीन से 3-5 किलोमीटर ऊपर वायुमंडल में हवा का प्रेशर बहुत ज्यादा होता है, तो सूरज की किरणें सीधे धरती तक आ जाती हैं. दूसरा- हाई प्रेशर उस जोन अथवा क्षेत्र में बादल भी नहीं बनने देता है. इससे टेंपरेचर बढ़ता है और हीटवेव की कंडीशन बन जाती है.

किस महीने में सबसे ज्यादा खतरा?

भारत में अमूमन मार्च से लेकर जून तक हीटवेव की स्थिति बनती है. किसी-किसी इलाके में असामान्य परिस्थिति में जुलाई में भी हिटवेव की कंडीशन बन सकती है. आईएमडी के मुताबिक मई ऐसा महीना है जब हीटवेव पीक पर होता है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के कुछ हिस्से, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ऐसे राज्य हैं, जहां हीटवेव की ज्यादा संभावना रहती है.

कब गंभीर बन जाता है हीटवेव?

भारत में हीटवेव को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. येलो, ऑरेंज और सबसे आखिर में रेड अलर्ट. किसी क्षेत्र का तापमान सामान्य से 4.5 से 6.4 डिग्री ज्यादा है तो हीटवेव की कैटेगरी में आता है.
6.40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान अति गंभीर हीटवेव माना जाता है और यह रेड अलर्ट की कैटेगरी में आता है.

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हीटवेव से कितनी मौतें?…

ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी (Monash University) की एक रिपोर्ट बताती है कि हीटवेव (Heat wave) किस तरीके से भारत में जानलेवा बन गया है. यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 1990 के बाद से 30 सालों में हीटवेव के चलते दुनिया भर में डेढ़ लाख से ज्यादा मौतें हुईं. इनमें से करीब 20% मौतें भारत में हुई हैं. यानी करीब 30 हजार के आसपास लोग हीटवेव के चलते मौत के मुंह में समा गए.

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