जानें, किसने की कपिल देव की सिफारिश?

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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की प्रशासकों की समिति (सीओए) ने लोढ़ा समिति द्वारा खिलाड़ियों का संघ स्थापित करने की सिफारिश(Recommendation) को लागू करने के उद्देश्य से संघ के गठन में मदद देने के लिए एक चार सदस्यीय संचालन समिति में कपिल देव, अंशुमान गायकवाड़, भरत रेड्डी और जी. के. पिल्लई को शामिल करने की सिफारिश की है। सीओए ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च अदालत में पेश की, जिसमें उसने अपनी इस सिफारिश को रखा है।

अपनी रिपोर्ट में सीओए ने कहा है, “अदालत संचालन समिति के लिए जी. के. पिल्लई, कपिल देव, अंशुमान गायकवाड़ और भरत रेड्डी के नामों पर विचार करे।”

सीओए ने अदालत से कहा कि वह रामचंद्र गुहा के इस्तीफे के बाद रिक्त हुए पद पर किसी की नियुक्ति करे।

सीओए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “प्रशासकों की समिति के एक सदस्य रामचंद्र गुहा ने हाल ही में अपना इस्तीफा सौंपा है। समिति के एक और सदस्य विक्रम लीमये ने अपील दायर करते हुए काम न कर पाने के कारणों का उल्लेख किया है। इसको ध्यान में रखते हुए प्रशासकों की समिति में रिक्त हुई जगह को भरने की जरूरत है।”

सर्वोच्च अदालत द्वारा गठित सीओए ने अदालत में कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का नया संविधान सितंबर से पहले अस्तित्व में आ जाना चाहिए। इसी दौरान बोर्ड की वार्षिक आम बैठक और बोर्ड के चुनाव होने हैं।

सीओए ने कहा, “बीसीसीई के मौजूदा संविधान के अनुसार एजीएम में हर तीन साल के बाद बोर्ड के चुनाव होते हैं। सीओए को बताया गया है कि बीसीसीआई की एजीएम आमतौर हर साल सिंतबर के महीने में होती है और आने वाले सितंबर में बीसीसीआई अधिकारियों के चुनाव भी होने हैं। इन परिस्थितियों में इस बात को सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बीसीसीआई का नया संविधान सितंबर से पहले लागू किया जाए ताकि इसी के अनुसार एजीएम और चुनाव कराए जाएं।”

अदालत में सीओए द्वारा दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, “सीओए अदालत से आग्रह करता है कि (भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के आधार पर) सीओए के बीसीसीआई के नए सविंधान को बनाने, लोकपाल की नियुक्ति, लोकपाल को आगामी सितंबर में होने वाली एजीएम की फिर से नियुक्ति और खिलाड़ियों के संघ के गठन के लिए फिर से संचालन समिति गठित करने की इजाजत दी जाए।”सीओए ने साथ ही ऑडिट रिपोर्ट की जांच के लिए एक नई समिति गठित करने की भी मांग की है।

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सीओए ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सीओए का मानना है कि शीर्ष अदालत के किसी पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उप-नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तथा जांच संबंधित मामलों में अच्छा अनुभव रखने के वाले किसी शख्स वाली तीन सदस्यीय विशेष समिति का गठन करना चाहिए, जो ऑडिट रिपोर्ट तैयार वाली कंपनी के साथ बैठकर रिपोर्ट की जांच करेगी।”

सोओए ने कहा, “ऑडिट रिपोर्ट में संबद्ध सदस्यों या राज्य संघों द्वारा की किसी तरह की गड़बड़ियों का संकेत मिलने पर उनके खिलाफ एक फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दिया जाए और गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार पाए गए व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए।”

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