रवि प्रदोष व्रत : भगवान शिव की व्रत-उपवास से मिलेगा आरोग्य सुख

0

सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिव को ही देवाधिदेव महादेव माना गया है। भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख मिलता है, जिसमें प्रदोष व्रत अत्यन्त प्रभावशाली तथा शीघ्र फलदायी माना गया है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 दिसम्बर, शनिवार को मध्यरात्रि के पश्चात् 4 बजकर 19 मिनट पर लगेगी जो कि 27 दिसम्बर, रविवार को प्रातःकाल 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।

प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान 27 दिसम्बर, रविवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा। प्रदोष बेला की अवधि दो या तीन घटी मानी गई है, एक घटी 24 मिनट की होती है। इसी अवधि में भगवान् शिवजी की पूजा प्रारम्भ करनी चाहिए।

व्रतकर्ता को इस दिन सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान करने के उपरान्त स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रदोष बेला में भगवान शिवजी की पूजा-आराधना करनी चाहिए।

वार के अनुसार प्रदोष व्रत के फल-

Ravi Pradosh Vrat

ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलगअलग प्रभाव है। वारों (दिनों) के अनुसार सात प्रदोष व्रत माने गए हैं, जैसे–रवि प्रदोष-आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि, सोम प्रदोष-शान्ति एवं रक्षा तथा आरोग्य व सौभाग्य में वृद्धि, भौम प्रदोष-कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष-मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोषविजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष-आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष-पुत्र सुख की प्राप्ति। अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान है।

कैसे करें शिवजी को प्रसन्न-

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर पूजा-अर्चना के पश्चात् प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

Ravi Pradosh Vrat

सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रदोषकाल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिवजी का अभिषेक कर श्रृंगार करने के पश्चात् उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

यथासम्भव स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही पूजा करनी चाहिए। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है। भगवान शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषव्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए।

व्रत से सम्बन्धित कथाएं सुननी चाहिए जिससे मनोरथ की पूर्ति का सुयोग बनता है। यह प्रदोष व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए समानरूप से फलदायी बतलाया गया है। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपने परिवार के अतिरिक्त अन्यत्र कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

अपनी दिनचर्या को संयमित रखते हए परोपकार के चित्त के साथ सत्याचरण अपनाते हए व्रत को विधिविधान से करना शीघ्र फलदायी होता है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण एवं असहायों की सेवा व सहायता सदैव करते रहना चाहिए।

यह भी पढ़ें: जिंदगी में जब भी लगे डर, इन 4 बातों को जरूर याद रखें

यह भी पढ़ें: यहां है शिवलिंग का वो स्वरुप जिसके दर्शन मात्र से पूरी होगी हर मनोकामना…

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More