पूर्व सैनिकों की चिट्ठी से राष्ट्रपति भवन का इनकार, रक्षामंत्री ने की निंदा

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सेना के राजनीतिकरण के आरोप को लेकर पूर्व सैनिकों द्वारा राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखने की बात झूठी साबित होती दिख रही है। राष्ट्रपति भवन ने किसी भी खत के मिलने से इंकार किया है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व सैनिकों द्वारा लिखित कोई भी खत राष्ट्रपति को नहीं मिला।

मीडिया में कथित तौर पर चल रही चिट्ठी में लिखा गया है, ‘सीमा पार हुए सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सैन्य अभियान का श्रेय नेता ले रहे हैं। साथ ही सेना के जवानों को मोदी जी की सेना कहा जा रहा है। चुनावी फायदा लेने के लिए नेता एयरफोर्स के विंग कमांडर की तस्वीरों का सहारा ले रहे हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है।’

पूर्व सैनिकों ने किया ऐसे खत से इनकार-

राष्ट्रपति भवन द्वारा इन खबरों के खंडन किए जाने के बाद पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रॉड्रिग्ज ने भी इन खबरों को गलत करार दिया। उन्होंने किसी भी तरह के हस्ताक्षर करने से भी इंकार किया।

रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी के मुताबिक राष्ट्रपति को यह ​खत एडमिरल रामदास ने नहीं लिखी जैसा दावा किया जा रहा है बल्कि यह किसी मेजर चौधरी ने लिखी है।

पूर्व सेना उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू का नाम कथित खत में 20वें नंबर पर है। उन्होंने कहा कि इस तरह के खत के लिए उनसे सहमति नहीं ली गई।

चिट्ठी में मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ का नाम 31वें स्थान पर है। उन्होंने पत्र लिखने की बात स्वीकार करते हुए कहा, ‘पत्र में हस्ताक्षरकर्ता होने के लिए अपनी सहमति दी है। मैंने इसकी साम्रगी जानने के बाद ही अपनी सहमति दी थी।’

चिट्ठी विवाद पर बोलीं निर्मला सीतारमण-

चिट्ठी विवाद पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘2 लोगों ने कहा है कि उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। यह चिंताजनक है कि फर्जी लेटर पर एक खास समूह के द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। यह निंदनीय है, राष्ट्रपति भवन ने भी कहा है कि उन्हें ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली है।’

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