‘राम मंदिर’ मुद्दे का पूरा भार उठाने आये श्री श्री
राममंदिर का निर्माण लाखों लोगो का सपना है, जिसमे हिन्दू मुस्लिम के विवाद के चलते सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मंदिर का मुद्दा दोनों धर्मो को लेकर है, जिसे उन्हें आपस में मिलजुल कर समझौता करना होगा। इस सहमति से अयोध्या में राममंदिर का निर्माण करवाने की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से आज लखनऊ में मुलाकातकी। दोनों लोगों ने एक बंद कमरे में आधे घंटे तक बातचीत हुई। इससे पहले श्री श्री रविशंकर ने मंगलवार रात गोंसाईगंज स्थित जलसा रिजार्ट में अपने कई अनुयायियों से मुलाकात की थी।
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श्री श्री रविशंकर का सफ़र जारी
श्री श्री रविशंकर कल अयोध्या के लिए जायेगे और वहां के सभी वरिष्ठ संतों से मिलेगे। मगर उनकी इस मुहिम से अयोध्या मामले से जुड़े कई लोग सहमत नहीं हैं। सिर्फ तीन पक्षों के साथ बैठक हो तो राज यूपी सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी का कहना है कि अयोध्या विवाद के सिर्फ तीन ही पक्षकार हैं सुन्नी वक्फ बोर्ड, निरमोही अखाड़ा और भगवान श्री राम विराजमान।
तीन पक्षो में होगा समझौता
श्री श्री रविशंकर लखनऊ प्रवास के दौरान अगर तीन पक्षकारों से मिलते हैं तो ही ऐसी बैठक में सुन्नी वक्फ बोर्ड शामिल हो सकता है। शिया वक्फ बोर्ड तो इस मामले में बेवजह कूद रहा है। श्री श्री की कोशिशों से अगर बातचीत से हल निकल आए तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। मध्यस्थता प्रस्ताव पर गौर करने के बाद ही होगा स्वीकार निरमोही अखाड़ा के वकील रंजीत लाल वर्मा का कहना है कि उन्हें श्री श्री की तरफ से बातचीत के लिए कोई बुलावा नहीं आया है वह अयोध्या में निरमोही अखाड़ा भी जाएंगे।
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बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का बयान
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक एडवोकेट जफरयाब जीलानी का कहना है कि श्री श्री रविशंकर के नुमाइंदों ने कुछ दिन पहले हमसे सम्पर्क किया था। हलकी फुलकी हमारी उनसे बातचीत हुई। मगर अयोध्या मामले में उनसे मुलाकात का कोई मतलब नहीं इसलिए क्योंकि उनके पास समाधान का कोई प्रस्ताव ही नहीं है। अयोध्या: वक्फ बोर्ड ने कहा- अयोध्या राम की नगरी है, मंदिर वही बनेगा। वकील मदन मोहन पाण्डेय का कहना है कि श्री श्री रविशंकर की तरफ से हम लोगों कोई सम्पर्क नहीं किया गया और ना ही हम लोग उनसे मिलने के लिए जाएंगे। श्री श्री रविशंकर की अयोध्या मंदिर मामले के बीच में आने का कोई मतलब नहीं है। जानकारी के अनुसार, श्री श्री रविशंकर से कोई भी पक्ष उनसे खुल कर बात ही नहीं करना चाहता।
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