राज्यपाल ने भी दी ‘प्रयागराज’ नाम को मंजूरी
उत्तर प्रदेश के शहर इलाहाबाद का नाम बदलकर अब प्रयागराज हो गया है। यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और तुरंत प्रभाव से यह आदेश लागू हो गया। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज नाम रखने की सिफारिश की थी।
उनका कहना था कि इस शहर का प्राचीन नाम प्रयागराज ही था। बता दें कि नाम बदलने के फैसले की काफी आलोचना भी हो रही है।
इस फैसले के बाद साधु-संतों में ख़ुशी का माहौल है
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकार प्रयागराज किए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई थी। अब राज्यपाल राम नाईक की मंजूरी के बाद शासनादेश जारी कर शहर में जहां-जहां भी इलाहाबाद नाम होगा उसकी जगह अब प्रयागराज लिखा जाएगा। योगी कैबिनेट के इस फैसले के बाद साधु-संतों में ख़ुशी का माहौल है।
संगम नगरी इलाहाबाद को तीर्थ राज प्रयाग भी कहा जाता है
इलाहाबाद का नाम बदले जाने को लेकर संगम तट पर भी लोगों में उत्साह का माहौल है। संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं से लेकर तीर्थ पुरोहित समाज और प्रयागवाल सभा ने सीएम योगी के इस फैसला का स्वागत किया है। संगम नगरी इलाहाबाद को तीर्थ राज प्रयाग भी कहा जाता है। यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आते हैं। इसके साथ ही शास्त्रों के मुताबिक संगम में पितृपक्ष में पिण्डदान का भी विशेष महत्व है।
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ऐसी मान्यता है कि जो लोग गया और काशी नहीं जा पाते। उन्हें प्रयागराज में पिंडदान से गया के बराबर ही पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। जानकार बताते हैं कि इलाहाबाद का शास्त्रों में प्राचीन नाम प्रयाग ही मिलता है। लेकिन अकबर ने 1583 में प्रयाग में यमुना के तट पर किले का निर्माण कराया और इस शहर का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया। जो कालान्तर में इलाहाबाद हो गया।
प्रयाग की पहचान लौटाने का फैसला अब योगी सरकार ने लिया है। योगी सरकार 435 सालों के बाद प्रयाग का पुराना नाम देने जा रही है। वहीं संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं की माने तो अभी भी इलाहाबाद को प्रयाग के नाम से ही जानते हैं। भले ही शहर का नाम इलाहाबाद हो।
लेकिन उनके मन में प्रयाग के नाम से ही आस्था और श्रद्धा है। संगम आने वाले श्रद्धालुओं ने भी इलाहाबाद का नाम बदले जाने के फैसले का स्वागत किया है। लोगों का मानना है कि सरकार के इस फैसले से न केवल प्रयाग का गौरव लौटेगा। बल्कि इसका महत्व भी पूरे देश और दुनिया में और बढ़ेगा।
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