शहादत पर एक हुए राहुल गांधी और पीएम मोदी
कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएम मोदी जो कल तक एक दुसरे के दुश्मन बन लड़ रहे थे आज वो एक हो गये है। जी हां चौकिये आज संसद हमले की 16 वीं बरसी है इस मौके पर पीएम और राहुल गांधी एकजुट होकर राजनीतिक लड़ाई भूलकर शहादत को याद कर रहे है।
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गुजरात विधानसभा में एक दिन पहले एक दूसरे पर जुबानी तीर छोड़ रहे पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए राहुल गांधी बुधवार को ‘एकजुट’ थे। केवल मोदी और राहुल ही नहीं बल्कि सरकार और विपक्ष, दोनों में ही आज एकता नजर आई। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रतीक संसद पर आतंकी हमले की 16वीं बरसी पर जब शहादत को सम्मान देने के लिए सारे नेता जुटे तो डिमॉक्रेसी और भी मजबूत नजर आई।
जानिये क्या हुआ था उस दिन
पांचों आतंकवादी एके-47 से लैस थे और उनके पीठ पर एक-एक बैग था। आतंकवादियों ने अपना सबसे पहला निशाना उन चार सुरक्षाकर्मियों को बनाया जो उनकी कार रोकने की कोशिश कर रहे थे। इसके बावजूद भी संसद में मौजूद बाकी लोगों को इस हमले के बारे में जानकारी नहीं थी। गोलियों की आवाज को अंदर मौजूद मंत्री और सांसद पटाखों की आवाज समझ रहे थे।17 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को देश की संसद तक आतंक जा पहुंचा। सफेद एंबेस्डर कार में सवार होकर आए 5 आतंकियों ने संसद पर इस हमले को अंजाम दिया।
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इस पूरे हमले का सूत्र जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन से जुड़ा था। इस हमले में 9 लोग शहीद हुए थे।1 बजकर 28 मिनट संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था लेकिन विपक्ष के जबरदस्त हंगामे के बाद कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी समेत कई नेता संसद से निकल चुके थे। तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी अपने कक्ष में मौजूद थे। साथ ही रक्षा राज्य मंत्री हरेन पाठक भी सदन में मौजूद थे। संसद में कई अन्य राजनेता और अधिकारी मौजूद थे। हमेशा की तरह संसद के आस-पास मीडिया का जमावड़ा था। कार्यवाही स्थगित हुए 40 मिनट हो चुके थे।
11 बजकर 29 मिनट
उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के काफिले में तैनात सुरक्षाकर्मी अब उनके सदन के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। ठीक उसी समय एक सफेद एंबेस्डर कार उपराष्ट्रपति के काफिले की तरफ तेजी से आती हुई दिखाई देती है। इस कार पर गृह मंत्रालय और संसद सदस्य का स्टीकर लगा था। इस कार की रफ्तार संसद के अंदर आने वाली कारों की तय रफ्तार से कहीं तेज थी।कोई कुछ समझ ही पाता कि उस कार के पीछे लोकसभा सुरक्षा कर्मचारी भागते हुए नजर आए। वह कार को रुकने का इशारा कर रहे थे। इसे देख उप राष्ट्रपति के सुरक्षा में तैनात एएसआई चीप राव, नामक चंद और श्याम सिंह भी उस कार को रोकने के लिये उसकी तरफ झपटे।इन सुरक्षाकर्मियों को अपनी ओर आते देख कार का चालक फौरन कार को गेट नंबर 1 की तरफ मोड़ देता है जहां उप राष्ट्रपति की कार खड़ी थी। तेज रफ्तार और मोड़ के चलते कार चालक कार पर से नियंत्रण खो देता है और कार सीधे उप राष्ट्रपति की कार से जा टकराती है।
सुबह 11 बजकर 30 मिनट
इस टक्कर के बाद कोई कुछ समझ पाता कि उस ऐंबेस्डर के चारों दरवाजे एक साथ खुलते हैं और गाड़ी में बैठे पांच आतंकी बाहर निकलकर फायरिंग शुरु कर देते हैं।पांचों आतंकवादी एके-47 से लैस थे और उनके पीठ पर एक-एक बैग था। आतंकवादियों ने अपना सबसे पहला निशाना उन चार सुरक्षाकर्मियों को बनाया जो उनकी कार रोकने की कोशिश कर रहे थे। इसके बावजूद भी संसद में मौजूद बाकी लोगों को इस हमले के बारे में जानकारी नहीं थी। गोलियों की आवाज को अंदर मौजूद मंत्री और सांसद पटाखों की आवाज समझ रहे थे।
सुबह 11 बजकर 40 मिनट
फायरिंग के बीच एक आतंकवादी दौड़ता हुआ संसद भवन के गेट नंबर 1 की तरफ जाता है। गेट नंबर 1 पर ही उस फिदायीन ने ब्लास्ट कर दरवाजा तोड़ने की सोची थी। पहला आतंकी गिर चुका था मगर वह अभी भी जिंदा था। जैसे ही उस घायल आतंकी को यह लगा कि वह चारों तरफ से घिर चुका है उसने रिमोट दबाकर खुद को उड़ा दिया।
सुबह 11 बजकर 45 मिनट
एक आतंकी मर चुका था लेकिन बाकी के चार आतंकी संसद भवन के अलग-अलग हिस्सों से ही ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहे थे। सेना और एनएसजी पहुंच चुकी थी।
सुबह के 11 बजकर 55 मिनट
अपने एक साथी के मारे जाने की खबर बाकी बचे आतंकियों को लग चुकी थी। इसी बीच संसद भवन के गेट नंबर 5 पर सुरक्षाकर्मियों की गोली से एक और आतंकवादी मार गिराया गया।
दोपहर के 12 बजकर 10 मिनट
इस समय तक पूरा ऑपरेशन गेट नंबर 9 पर सिमट चुका था। बीच-बीच में आतंकी सुरक्षाकर्मियों पर हथगोले भी फेंक रहे थे। आतंकी चारों तरफ से घिर चुके थे और उनके बचने की कोई उम्मीद थी। बस क्या था थोड़ी देर में ही तीनों आतंकी एक-एक करके मारे जा चुके थे। यह पूरा ऑपरेशन महज 45 मिनट चला था।
दोपहर के 12 बजकर 5 मिनट
अब सिर्फ तीन आतंकी बचे थे और उन्हें यह पता था कि वह संसद भवन से जिंदा वापस नहीं लौटेंगे इसलिए उन्होंने संसद के अंदर घुसने की एक आखिरी कोशिश की। इस कोशिश के तहत वह गोलियां बरसाते हुए संसद भवन के गेट नंबर 9 की तरफ भागे। लेकिन मुस्तैद जवानों ने उन्हें गेट नंबर 9 के पहले ही उन्हें घेर लिया। बम निरोधक दस्ते ने वहां पहुंचने के बाद विस्फोटकों को नाकाम करना शुरू किया। उन्हें परिसर से दो जिंदा बम भी मिले थे। जिस कार से आतंकी आए थे, उसमें 30 किलो आरडीएक्स था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर आतंकी इस कार में धमाका करने में कामयाब हो गए होते तो हालात भयानक हो सकते थे।
(साभार- एनबीटी)