कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा अष्टमी मनाई जाती है। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
इस साल 14 सितंबर को बृजवासी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। राधाष्टमी का पौराणिक महत्व बहुत खास माना गया है।
कुछ जगहों पर राधाष्टमी के दिन राधाजी के साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होती हैं और आपका घर धन संपदा से भर देती हैं।
यह भी माना जाता है कि राधाष्टमी से लेकर अगले 10 दिन तक कुछ विशेष कार्यों को करने और जप तप करने से आपके घर में खुशहाली आती है और मां लक्ष्मी का वास होता है।
तो चलिए जानते है कौन से है वो काम जिसे करने से राधारानी के साथ साथ मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण को प्रसन्न किया जा सकता है।
राधा रानी का यह पाठ माना जाता है शुभ
राधाष्टमी से अगले 16 दिन राधा के स्तोत्र या राधा सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से कान्हाजी के साथ ही लक्ष्मी स्वरूप मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
सुरैया पर्व
राधाष्टमी से सुरैया पर्व का आरंभ होता है जो 16 दिनों तक चलता है। इसमें देवी लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
साथ ही इन 16 दिनों के बीच में पड़ने वाले शुक्रवार को मां लक्ष्मी को केसर की खीर का भोग लगाना चाहिए। इससे आपके घर में आनंद की प्राप्ति होती है।
इस तरह से करें पूजा
राधाष्टमी से अगले 16 दिन तक देवी राधा और भगवान श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति की पूजा करें। देवी राधा को सुहाग सामग्री भेंट करें और राधा कृष्ण नाम का यथसंभव जप करें।
कुबेर जी की पूजा
सुरैया पर्व को यक्ष और यक्षिणी साधना का भी समय कहा जाता है। भगवान कुबेर को यक्षराज कहा जाता है। यह धन के स्वामी हैं।
सुरैया पर्व के दौरान यक्ष राज कुबेर की नियमित पूजा करें। राधाष्टमी के दिन कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र की स्थापना करके नियमित इनकी पूजा करें।
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