मेथनॉल को बढ़ावा, हर साल होगी भारी बचत :नितिन गडकरी
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार मेथनॉल ईधन को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है। सरकार का अनुमान है कि अगर खाना पकाने और गाड़ी चलाने के लिए वैकल्पिक ईधन के रूप में मेथनॉल का उपयोग किया जाता है तो इससे देश के आयात बिल में भारी कमी आएगी। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार जल्द ही एक योजना लागू करने जा रही है जिसके तहत पेट्रोल में 15 प्रतिशत मेथनॉल मिलाया जाएगा जिससे इसकी कीमत 10 प्रतिशत तक कम हो जाएगी।
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नितिन गडकरी ने संसद में की घोषणा
सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को संसद में इस आशय की घोषणा की। उनकी यह घोषणा इसलिए अहम है क्योंकि देश लंबे समय से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात घटाने के लिए मेथनॉल जैसे वैकल्पिक ईधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। भारत में फिलहाल हर साल 2900 करोड़ लीटर पेट्रोल और 9000 करोड़ लीटर डीजल की आवश्यकता पड़ती है और इसके लिए हर साल सरकार को करीब छह लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। इस तरह बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा आयात पर खर्च करनी पड़ती है। ऐसे में मेथनॉल के इस्तेमाल से आयात पर कम धनराशि खर्च करनी पड़ेगी।
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भारत करेगा स्वयं का देशी ईंधन तैयार
गडकरी ने कहा कि मेथनॉल को अपनाकर लगभग 19 रुपये की लागत पर भारत अपना स्वयं का देशी ईंधन तैयार कर सकेगा जो वर्तमान में उपलब्ध ईधनों से सस्ता होगा। इस तरह मेथनॉल के इस्तेमाल से अगले पांच-सात वर्षो में डीजल उपयोग कम से कम 20 प्रतिशत कम हो जाएगा जिससे सालाना 26,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देकर अगले तीन साल में ही एलपीजी बिल में 6,000 करोड़ रु. की सालाना कमी हो जाएगी। गडकरी ने कहा कि नीति आयोग ‘मेथेनॉल अर्थव्यवस्था’ के लिए एक योजना (रोडमैप) बना रहा है। मेथनॉल को वैकल्पिक ईंधन के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेथनॉल अर्थव्यवस्था निधि’ बनाने पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही ‘मेथनॉल अर्थव्यवस्था’ पर एक कैबिनेट नोट लाया जाएगा।