प्रार्थना में कितना दम? अमेरिका में कोरोना मरीजों पर अध्ययन शुरू
कितने मरीज ठीक होकर घर गये? इसपर विशेषज्ञों की टीम गठित
वाशिंगटन : क्या पूजा व प्रार्थना prayer से कोरोना के मरीज ठीक हो सकते हैं? इस बाबत अमेरिका में अध्ययन शुरू कर दिया गया है। आखिर कितने मरीज ठीक होकर घर गये? कितने ईश्वर को प्यारे हो गये? कितनों को संबल मिला? इन सब बातों पर विशेषज्ञों की टीम गहन अध्ययन कर रही है।
अमेरिकी फिजिशियन कर रहे हैं अध्ययन
भारतीय मूल के अमेरिकी फिजिशियन ने यह जानने के लिए अध्ययन शुरू किया है कि क्या भगवान की पूजा prayer करने से मरीज ठीक हो सकते हैं?
धनंजय लक्कीरेड्डी ने चार महीने तक चलने वाले इस प्रार्थना अध्ययन की शुरुआत की, जिसमें 1,000 कोरोना वायरस मरीज शामिल होंगे।
एक एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अध्ययन कंसास सिटी में शुरू हुआ है। अमेरिका में कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है। देश में अबतक करीब 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 12 लाख लोग इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हैं।
prayer से कितने मरीज ठीक हुए
कंसास सिटी में भारतीय मूल के अमेरिकी फिजिशियन ने यह जानने के लिए अध्ययन शुरू किया है कि क्या भगवान की prayer करने से मरीज ठीक हो सकते हैं? क्या दूर रहकर की जाने वाली रक्षात्मक प्रार्थना prayer जैसी कोई चीज ईश्वर को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को ठीक करने के लिए मना सकती है?
अध्ययन में शामिल होंगे एक हजार मरीज
धनंजय लक्कीरेड्डी ने चार महीने तक चलने वाले इस Prayer अध्ययन की शुरुआत की, जिसमें 1,000 कोरोना वायरस मरीज शामिल होंगे जिनका आईसीयू में इलाज चल रहा है। अध्ययन में किसी भी मरीज के लिए निर्धारित मानक देखभाल प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्हें 500-500 के दो समूह में बांटा जाएगा और Prayer एक समूह के लिए की जाएगी।
चार माह चलेगा अध्ययन
इसके अलावा किसी भी समूह को प्रार्थनाओं के बारे में नहीं बताया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान को उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक चार माह का यह अध्ययन, “दूर रहकर की जाने वाली रक्षात्मक बहु-सांप्रदायिक प्रार्थना की कोविड-19 मरीजों के क्लीनिकल परिणामों में” भूमिका की पड़ताल करेगा।
पेशेवरों की संचालन समिति का गठन
बिना किसी क्रम के चुने गए आधे मरीजों के लिए पांच सांप्रदायिक रूपों – ईसाई, हिंदू, इस्लाम, यहूदी और बौद्ध धर्मों- में “सर्वव्यापी” Prayer की जाएगी। जबकि अन्य मरीज एक दूसरे समूह का हिस्सा होंगे। सभी मरीजों को उनके चिकित्सा प्रादाताओं द्वारा निर्धारित मानक देखभाल मिलेगी और लक्कीरेड्डी ने अध्ययन को देखने के लिए चिकित्सा पेशेवरों की एक संचालन समिति का गठन किया है।
विज्ञान व धर्म का समागम
लक्कीरेड्डी ने कहा, “हम सभी विज्ञान में यकीन करते हैं और हम धर्म में भी भरोसा करते हैं।” उन्होंने कहा, “अगर कोई अलौकिक शक्ति है, जिसमें हम में से ज्यादातर यकीन करते हैं, तो क्या वह Prayer और पवित्र हस्तक्षेप की शक्ति परिणामों को सम्मिलित ढंग से बदल सकती है? हमारा यही सवाल है।”
प्रार्थना के बाद कितने मरीज वेंटिलेटर से लौटे?
जांचकर्ता यह भी आकलन करेंगे कि कितने समय तक मरीज वेंटिलेटर पर रहे, उनमें से कितनों के अंगों ने काम करना बंद कर दिया, कितनी जल्दी उन्हें आईसीयू से छुट्टी दी गयी और कितनों की मौत हो गयी।
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