PM मोदी को गाली देने वाला उत्तराखंड में महानिदेशालय में संपादक बना

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सियासत में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, कहा नहीं जा सकता। ये कोई मुहावरा या लोकोक्ति नहीं है, उत्तराखंड में चल रहे पॉलिटिक्स की सच्चाई है। एक शख्स जो प्रधानमंत्री मोदी जैसी शख्सियत को सोशल मीडिया पर अपशब्द कहने, उनके बारे में अनाप-शनाप टिप्पणी करने के लिए जाना जाता था। आज उत्तराखंड की बीजेपी सरकार की महिमा से राज्य सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में संपादक पद पर बैठा है। इस राजनीतिक नियुक्ति को बीजेपी के ही कई नेता नहीं समझ पा रहे हैं। साथ ही उत्तराखंड की राजनीति में ये मामला अब गरमा रहा है। 

उत्तराखंड सूचना एवं लोक संपर्क विभाग सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार का विभाग है, राज्य में बीजेपी की सरकार है और बीजेपी के सबसे बड़े नेता पीएम मोदी हैं। ऐसे में किसी ऐसे शख्स को इस विभाग में बतौर पत्रिका के संपादक का पद देना, जो मोदी विरोध के लिए जाना जाता है, ये राजनीतिक पंडितों को पच नहीं रहा है, आखिर वो कैसे बीजेपी सरकार का ‘प्रचार-प्रसार’ कर सकेगा, जब वो खुद ही ‘मोदी विरोध’ की राजनीति जमकर कर चुका हो।

नियुक्ति के बाद पुराने पोस्ट हो रहे हैं वायरल

ट्विटर-फेसबुक पर प्रमोद रावत के पुराने पोस्ट उनके कांग्रेस समर्थक होने की गवाही दे रहे हैं। अकाउंट से ये पोस्ट तो हटा लिए गए हैं लेकिन सोशल मीडिया पर जमकर शेयर हो रहे हैं, हम इन स्क्रीनशॉट की पुष्टि तो नहीं करते हैं, लेकिन ये स्क्रीनशॉट और इस मामले से जुड़े लोग बताते हैं कि प्रमोद रावत की पहचान कांग्रेस के करीबी और धुर मोदी विरोधी शख्स की रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रमोद रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री टीपीएस रावत के विधानसभा और लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। वायरल हो रहे उनके पोस्ट इस बात की गवाही भी देते हैं।

सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे स्क्रीनशॉट

देखिए मोदी सरकार पर इनके क्या हैं ‘विचार’

कांग्रेस के करीबी होना प्रमोद रावत की निजी विचारधारा है लेकिन 2-3 साल पहले पीएम मोदी के धुर विरोध में उन्होंने जो-जो बात कहीं, वो शर्मिंदा कर देने वाली हैं। आप खुद देख सकते हैं कि आखिर कैसे-कैसे स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं- ‘इनको फेंकते-फेंकते और हम को देखते-देखते आज पूरे तीन साल हो गए’, ‘भक्तों, देख लो अस्ताना, बाद में न पछताना’

आखिर त्रिवेंद्र रावत के ‘मन की बात’ क्या है?

जुलाई में हुई इस नियुक्ति के बाद तो सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को नाराज करने की कोशिश में हैं क्या? कभी वो चार धाम के तीर्थों पर देव स्थानम एक्ट यानी श्राइन बोर्ड का गठन करते हैं, जिस कारण पुरोहितों की नाराजगी वो झेल रहे हैं, इतना ही नहीं बीजेपी के वरिष्ठ सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इस फैसले से इतने खफा हो गए कि बीजेपी सरकार के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में रिट तक दाखिल कर चुके हैं और अब पीएम के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने वाले, मजाक उड़ाने वाले प्रमोद रावत को राज्य सरकार के मुखपत्र का एडिटर तक बना दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रमोद रावत को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया संस्थानों में करीब 20 साल की पत्रकारिता का अनुभव हैं, उन्हें सामाजिक कार्यों में सक्रिय भी बताया जाता है। पत्रकारिता में स्नातक प्रमोद उत्तराखंड के अनमोल रत्न नाम की किताब भी लिख चुके हैं।

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