ऑन ड्यूटी चार साल में शहीद हुए 452 पुलिसकर्मी!

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मथुरा में भूमि पर अवैध कब्जा को खाली कराने गई पुलिस पार्टी पर हमला और हमले में पुलिसर्मियों की गोली लगने से मौत का मामला कोई पहला नहीं है। कुछ महीने पहले ही नोएडा में बदमाश को पकड़ने गए जाबांज दरोगा की गोली लगने से मौत हो गई थी। इससे पहले भी प्रदेश में हर साल सौ से डेढ़ सौ तक पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान जान गवां देते हैं। इनमें अधिकारी से लेकर सिपाही व चालक आदि तक शामिल रहते है।

मुठभेड़ और दबिश के दौरान बदमाशों से आमना-सामना होने के अलावा कई बार कानून-व्यवस्था के मामलों में पुलिसकर्मियों की जान जाती है। ड्यूटी पर शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों को जहां राज्य सरकार से एक निश्चित मुआवजा राशि मिलती है, वहीं उन्हें असाधारण पेंशन दिए जाने का भी प्रावधान है। हर वर्ष 21 अक्टूबर को पूरे देश में मनाए जाने वाले पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर यूपी में तत्कालीन वर्ष में शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के सम्मान में परेड व सलामी की जाती है।

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पुलिस के आंकड़ों के अनुसार एक सितंबर 2012 से 31 अगस्त 2013 के दौरान कुल 117 पुलिसकर्मियों ने कर्त्तव्य  के दौरान शहादत दी। ऐसे ही इसी अवधि में 2013-2014 में 126 और वर्ष 2014-2015 में 108 पुलिसकर्मियों की शहादत हो चुकी है। ऐसे ही एक सितंबर 2015 से अब तक सौ से अधिक पुलिसकर्मियों की जान जा चुकी है।

एक सितंबर 2012 से 31 अगस्त 2013 के दौरान कुल 117 मरे
इनमें एक अपर पुलिस अधीक्षक, दो डीएसपी, 11 सब इंस्पेक्टर, चार एएसआई, एक एसआईएम, तीन एएसआई एम, 13 हेड कांस्टेबिल, 79 सिपाही, एक लीडिंग फायरमैन, एक मुहिला काटसटेबिल और एक हेड आपरेटर शामिल हैं।

एक सितंबर 2013 से 31 अगस्त 2014 के दौरान कुल 126 की मौत
इनमें तीन इंस्पेक्टर, एक कंपनी कमांडर, दो एसआई (एम लिपिक), एक एसआईएम, सात सब इंस्पेक्टर, एक एसआई रेडियो, तीन एएसआईएम, चार एएसआई, 13 हेड कांस्टेबिल, 85 सिपाही, चार सिपाही चालक, एक फायरमैन और एक महिला सिपाही शामिल थे।

एक सितंबर 2014 से 31 अगस्त 2015 तक कुल 108 की हुई मौत।
इनमें एक डीएसपी, एक इंस्पेक्टर, चार एसआई, चार एसआईएम, एक एसआईएम (लिपिक), २६ हेड कांस्टेबिल, ६७ सिपाही, एक लीडिंग फायरमैन और एक फायरमैन।

पुलिस पर हमलों का आंकड़ा
राज्य सरकार विधान सभा में पिछले दिनों एक सवाल के जवाब में प्रदेश पुलिस पर हुए हमलों का ब्यौरा दिया था। इसके अनुसार –
2010 – 2011 के दौरान पुलिस पर हमलों की कुल 124 घटनाएं
2011 – 2012 के दौरान पुलिस पर हमलों की कुल 144 घटनाएं
2012 – 2013 के दौरान पुलिस पर हमलों की कुल 202 घटनाएं
2013 – 2014 के दौरान पुलिस पर हमलों की कुल 265 घटनाएं
2014 – 2015 के दौरान पुलिस पर हमलो की कुल 300 घटनाएं
2015 से अब तक पुलिस पर हमले की कुल 278 घटनाएं

अखिलेश सरकार में ऑन ड्यूटी शहीद हुए थे पुलिस के ये जांबाज अफसर

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार में प्रदेश ने कई जांबाज अफसरों को खोया है। अखिलेश राज में ऑन ड्यूटी शहीद हुए कुछ घटनाओं पर एक नजर-

कुंडा में शहीद हुए थे डीएसपी जिया-उल-हक

2 मार्च को 2013 प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के बलीपुर गांव बलीपुर के ग्राम प्रधान नन्हें यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद हुई गोलीबारी में प्रधान के भाई सुरेश की भी मौत हो गई। दो हत्या और गांव में हंगामे की खबर पाकर सीओ कुंडा जिया-उल-हक भी मौके पर पहुंचे। उनकी भी गुस्साई भीड़ ने हत्या कर दी।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में शाम का वक्त था, जब गांव के प्रधान नन्हें यादव को चार लोगों ने गोलियां मार दी। यह इलाका राजा भैया का कहा जाता है। इसी क्षेत्र से राजा भैया लगातार पांच बार विधायक बने हैं। कहा जा रहा था कि जिन चार लोगों ने प्रधान को गोली मारी। वे राजा भैया के लोग थे। इस हत्या की खबर सुनने के बाद डीएसपी जिया-उल-हक ने मौके पर तीन पुलिसवालों के साथ पहुंचे। घायल प्रधान को लेकर अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इसके बाद जिला-उल-हक प्रधान के शव के लेकर वापस गांव लौटे। इस समय तक उनके पास करीब आठ पुलिस वाले आ गए थे, लेकिन जब तक वह लौटे तब तक गांव में करीब 300 लोगों की क्रोधित भीड़ जमा हो चुकी थी। इस भीड़ में कुछ लोग हथियार से लैस थे। भीड़ को बेकाबू होते देख डीएसपी जिया-उल-हक से साथ मौजूद पुलिसवाले धीमे-धीमे छिपने जगह पर पहुंच गए।

पुलिसकर्मियों का कहना था कि डीएसपी को लोगों ने अलग कर लिया। उन्हें प्रधान के घर के पीछे लेकर चले गए। इसके बाद तीन गोलियों की आवाज सुनाई दी। तीन में से दो गोलियां प्रधान के भाई सुरेश यादव को मारी गईं। वहीं से पांच मीटर की दूरी पर डीएसपी जिला-उल-हक को बुरी तरह से पीटा गया और फिर पीछे से गोली मार दी गई। डीएसपी के मृत शरीर को फिर घसीटकर कुंए के पास ले जाया गया। डीएसपी की हत्या के मामले में राजा भैया ने यूपी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था फिलहाल मामला सीबीआई कोर्ट में चल रहा है।

बरेली में दबिश देने गए दरोगा की हत्या

लखीमपुर निवासी 1998 बैच के दरोगा मनोज मिश्रा बरेली के फरीदपुर थानाक्षेत्र में तैनात थे। बीते 9 सितंबर 2015 की रात थाने में थे। इस दौरान उन्हें इलाके में गौकशी की सूचना मिली। इसके बाद वे घटनास्थल पर दबिश देने पहुंचे। इसी दौरान उनको एक बदमाश ने गोली मार दी थी। इससे उनकी मौत हो गई थी। बाद में पुलिस ने हत्यारों सहित 10 लोगो को गिरफ्तार किया था। मनोज के घरवाले पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हैं और मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

वाराणसी में जिला कारागार के उपाधीक्षक की हत्या

वाराणसी में 23 नवंबर 2013 की सुबह अज्ञात हमलावरों ने जिला कारागार के उपाधीक्षक अनिल त्यागी की कैंट इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई। अनिल त्यागी रोज की तरह शनिवार सुबह अपनी कार से जिम पहुंचे ही थे। इस दौरान पहले से घात लगाकर बैठे बाइक सवार हमलावरों ने कार से निकलने से पहले ही उनको गोलियों से छलनी कर दिया और मौके से फरार हो गए।

जब तक लोग मामला समझ पाते अनिल मौके पर ही दम तोड़ चुके थे। दिनदहाड़े पुलिस अधिकारी की हत्या से इलाके में दहशत का माहौल बन गया है। कुछ दिनों पहले जेल में उनकी कुछ कैदियों से झड़प हुई थी। पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमें हत्या की गुत्थी सुलझाने में लगा दी गई। जिम में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज हासिल कर जांच हत्या की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की गई। जांच में सामने आया कि तीन पल्सर बाइक पर सवार आधा दर्जन बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया है।

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