मथुरा हिंसा: SP समेत 24 की मौत

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यूपी के मथुरा में गुरुवार को जवाहर बाग की बागवानी विभाग की करीब 100 एकड़ जमीन पर अवैध कब्‍जे को हटाने पहुंची पुलिस और कब्‍जेधारियों के लिए बीच हुए भीषण संघर्ष में 24 लोगों की मौत हो गई जिसमें एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी और थाना प्रभारी संतोष कुमार शहीद हो गए हैं। इस हिंसा में कुल 19 अतिक्रमणकारी मारे गए हैं। हिंसक झड़प के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए है। शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया गया है। इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए है।

दोषियों पर होगी कार्रवाई

एसपी और एसओ के शहीद होने पर दुख जताते हुए सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार शोक संतृप्त परिवारों की हरसंभव मदद करेगी। दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई किए जाने के निर्देश पुलिस को दिए हैं।

डीजीपी ने जताया शोक

डीजीपी जावीद अहमद ने पुष्टि करते हुए कहा कि मथुरा के एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी का भी देहांत हो गया है। उन्होंने अपने ट्विटर पर इसकी पुष्टि करते हुए शोकसंवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। कड़ी कार्रवाई होगी।

याद आएंगे शहीद मुकुल व संतोष

मथुरा में ऑपरेशन जवाहरबाग रिहर्सल के दौरान इंटेलिजेंस की चूक की वजह से एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी व इंस्पेक्टर संतोष यादव शहीद हो गए। मथुरा में शहीद हुए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी औरैया जिले के विधूना थाने में मानी कोठी के रहने वाले हैं। शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी की शादी साल 2000 में अर्चना से हुई थी।

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(पत्नी के साथ शहीद SP मुकुल द्विवेदी)

उनके दो बेटे हैं। घर पर एसपी मुकुल के शहीद होने की खबर मिलते ही पूरे परिवार में खलबली मच गई। उनके एक भाई दुबई में नौकरी करते हैं।

कुशल व्यवहार के थे मुकुल

मुकुल द्विवेदी मेरठ, सहारनपुर, मथुरा, आगरा और बरेली में सीओ सिटी रह चुके थे। सात महीनें पहले प्रमोशन के बाद मथुरा में एसपी सिटी के रूप में पहली पोस्टिंग थी। बताया जा रहा कि एसपी सिटी बेहद व्यवहार कुशल थे। जिस जिले में भी उनकी पोस्टिंग होती थी वहीं वह दोस्तों की लंबी चौड़ी लिस्ट तैयार कर लेते थे। वह मथुरा में तो दो बार रह चुके हैं। इससे पहले बरेली, मेरठ और गाजियाबाद के साथ कई जिलों में रह चुके हैं।

तेजतर्रार इंस्पेक्टर थे संतोष यादव

वहीं सब इंस्पेक्टर संतोष यादव लगभग चार साल से मथुरा में तैनात थे। 14 मई तक संतोष एसएसपी के पीआरओ थे। थाने में हुए बदलाव में उन्हें एसओ फरह का चार्ज दिया गया था।

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(घटना में शहीद SO संतोष कुमार)

इससे पहले आगरा पर्यटन थाना समेत कई थानों के थानाध्यक्ष रह चुके हैं। संतोष यादव तेजतर्रार पुलिस वाले माने जाते थे। वह मूलरुप से जौनपुर के रहने वाले हैं।

20 लाख की मदद

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। उनके निर्देश पर कमिश्नर आगरा प्रदीप भटनागर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा के प्रकरण में शहीद हुए एसओ संतोष यादव के परिवार को 20 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

क्या था मामला

1 जनवरी 2014 को पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से संगठित करीब एक हजार लोगों ने मध्य प्रदेश के सागर से चलकर दिल्ली जंतर-मंतर तक पहुंचने के लिए मथुरा स्थित जवाहर बाग में डेरा डाला था। डीएम नें उन्हें दो दिन बाद जगह खाली करने के आदेश दिए थे, लेकिन दो दिन बाद भी वे यहां से हटे नहीं। शुरुआत में वो यहां एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां पर और झोपड़ियां बनीं, इसके बाद  इस संगठन का मुखिया रामवृक्ष यादव 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा। और वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था।

कौन है रामवृक्ष यादव

आइये जानते हैं जवाहर बाग में दो साल से डेरा डाले हुए और हिंसा पर उतारू लोगों की हकीकत, जिन्होंने प्रशासन की नाक में दम कर दिया। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले का सरगना रामवृक्ष यादव नाम का एक शख्स है जो गाजीपुर का रहना वाला है।

मुकदमों का अंबार

बता दें कि मथुरा में 2014 से लेकर 2016 तक इस पर 10 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। जिसमें पुलिस अधिकारयों पर हमला, सराकरी संपत्ति पर अवैध कब्जा शामिल है। विजयपाल तोमर नामक एक याचिकाकर्ता जब इसक कब्जे के खिलाफ कोर्ट गए तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली करने का आदेश दिया था।

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जिसके बाद मई में रामवृक्ष यादव इस आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था।

जयगुरुदेव का शिष्य

रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। उसने जयगुरुदेव के विरासत के लिए भी दावेदारी की कोशिश की थी। जानकारी के मुताबिक जयगुरुदेव के निधन के बाद विरासत के लिए तीन गुटों में टकराव हुआ। पंकज यादव और उमाकांत तिवारी के बीच टकराव हुआ और पंकज यादव उत्ताराधिकारी बना। वहां समर्थन न मिलने पर रामवृक्ष अलग गुट बनाकर मथुरा के जवाहरबाग में 270 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। कहा जाता है कि पांच हजार लोग उसके लिए काम करते थे। उसी कहने के पर इस पूरी झड़प को हिंसक रुप से अंजाम दिया गया।

ये थी मांगें

खुद को सुभाषचंद्र बोस का अनुयायी कहने वाले ये लोग पेट्रोल और डीजल की कीमत एक रुपए लीटर करने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि देश में सोने के सिक्के चलाए जाएं और आजाद हिंद फौज के कानून माने जाएं। इसी की सरकार देश में शासन करे। अन्य मांगों में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करना, वर्तमान करेन्सी की जगह ‘आजाद हिंद फौज’ करेन्सी शुरू करना, एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री करना शामिल है।

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