जानें : क्यों मोदी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बताया पिता समान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन पर आधारित ‘प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी-अ स्टेट्समैन’ नामक किताब का विमोचन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने राष्‍ट्रपति की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने प्रणब मुखर्जी की उंगली पकड़कर दिल्ली में खुद को सेट किया। राष्ट्रपति मुखर्जी को प्यार से ‘प्रणब दा’ संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि प्रणब दा की उंगली पकड़ कर दिल्ली की जिंदगी में अपने आप को सेट करने में बहुत सुविधा मिली और वह मेरे पिता तुल्य हैं।

अपने संबोधन के दौरान मोदी ने भावुक होते हुए कहा कि बीते तीन वर्षों के दौरान ऐसा एक भी मौका नहीं होगा जब वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले हों और राष्ट्रपति जी ने उन्हें ‘पिता का स्नेह’ न दिया हो। पीएम मोदी ने कहा,  वह अक्सर मुझसे कहा करते हैं ‘मोदी जी आपको आधे दिन का आराम कर लेना चाहिए। आप इतनी भाग-दौड़ क्यों करते हैं, अपने कार्यक्रमों को कम कीजिए, अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखिए’।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह खुद को सौभाग्यशाली महसूस करते हैं कि उन्हें राष्ट्रपति मुखर्जी के साथ काम करने का मौका मिला। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर अनावृत्त पुस्तक के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, इस किताब में मौजूद तस्वीरों में हमें अपने राष्ट्रपति के मानवीय पहलू भी देखने को मिलेंगे और हमें उन पर गर्व होगा।

इसी मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी खुलासा किया कि उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कुछ वैचारिक मतभेद रहे हैं, लेकिन दोनों ने अपने-अपने मतभेद अपने पास रखे और सरकार के कामकाज को प्रभावित नहीं होने दिया। 13वें राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी के जीवन की चित्रमय यात्रा वाली इस किताब का प्रकाशन स्टेटमैन समूह ने किया है, जिसका विमोचन पीएम मोदी ने किया और उसकी पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट की।

वित्तमंत्री अरुण जेटली की तरफ देखते हुए मुखर्जी ने कहा कि वह खास मुद्दों के बारे में जानकारी के लिए जेटली को अक्सर फोन किया करते थे, और जेटली एक सक्षम और प्रभावी वकील की तरह हमेशा उन्हें समझाते थे। बता दें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।

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