पीएम मोदी से कोई कॉम्पिटीशन नहीं: मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (PM Manmohan Singh ) ने शनिवार को कहा कि वह नहीं चाहते कि लोग उनकी पृष्ठभूमि पर तरस खाएं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। मनमोहन सिंह ने यह बात एक सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया कि वह अपनी गरीबी की पृष्ठभूमि के बारे में बात क्यों नहीं करते हैं, जिस तरह मोदी हमेशा बचपन में अपने परिवार की मदद के लिए गुजरात के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने की बात करते हैं। 2004-14 के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की अगुवाई कर चुके मनमोहन सिंह अविभाजित पंजाब के गाह गांव में 1932 में पैदा हुए थे।
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गरीब परिवार का था : मनमोहन सिंह
वह एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे। अपने जीवन के शुरुआती 12 सालों तक वह गांव में ही रहे, जहां न बिजली थी, न स्कूल था, न अस्पताल था और न ही पाइपलाइन से आपूर्ति किया जाने वाला पानी ही था। मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार के रूप में 2004 से 2008 तक काम कर चुके संजय बारू के मुताबिक, मनमोहन सिंह स्कूल जाने के लिए रोज मीलों चलते थे और रात में केरोसिन तेल की ढिबरी (बत्ती) की मंद रोशनी में पढ़ाई किया करते थे। एक बार जब उनसे उनकी कमजोर नजर को लेकर पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि वह मंद रोशनी में घंटों किताबें पढ़ा करते थे। उनका परिवार 1947 में विभाजन के दौरान भारत के अमृतसर आ गया। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया और उनकी दादी ने उन्हें पाला-पोसा।
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ऑक्सफोर्ड से हासिल की अर्थशास्त्र डॉक्टरेट डिग्री
उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से 1954 में अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल करी। अपने अकादमिक करियर में उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र ट्राइपोज पूरा किया, जहां वह 1957 में सेंट जॉन्स कॉलेज के सदस्य थे। उसके बाद ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने के बाद मनमोहन सिंह ने साल 1966-69 तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया। 1969 से 1971 तक वह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के शिक्षक थे। 1970 और 80 के दशक में उन्होंने सरकार में कई पदों पर अपनी सेवाएं दी, जैसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-76), भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर (1982-85) और योजना आयोग के प्रमुख (1985-87)। साल 1991 के जून में प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी और वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के लिए कई संरचनात्मक सुधार किए।
साभार: ( www.news18.com )