जयपुर में मासूम जिंदगियों से खिलवाड़, बाल मजदूरी करते 22 बच्चे रेस्क्यू…

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राजस्थान की राजधानी जयपुर लाख की चूड़ियों के लिए मशहूर है. लगभग हर महिला लाख से बने आभूषणों से अपना श्रृंगार करना पसंद करती है. मगर, क्या अपने कभी सोचा है कि यह लाख की चूड़ियां कितनी जिंदगियां बर्बाद कर रही हैं. दरअसल, पिंक सिटी जयपुर की भीतरी गलियों में बनने वाले लाख के गहनों को कोई और नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चे बनाते हैं. ये वही बच्चे हैं, जिन्हे 500-500 रुपए में बिहार से ख़रीदा गया और फिर उन्हें जयपुर लाकर बंधक बना दिया

बच्चों को बिहार से लेकर आया था आरोपी…

दरअसल, 12 जून को पुलिस और एक बाल संस्था ने जयपुर में स्थित भट्टाबस्ती से ऐसे ही 22 मासूमों को रेस्क्यू किया है. जिनसे जबरदस्ती लाख के गहने बनवाए जा रहे थे. ये छोटे-छोटे बच्चे अपनी खुशी से ये काम नहीं कर रहे थे. बल्कि, पढ़ने और खेलने-कूदने की उम्र में ही इनसे इनका बचपन छीन लिया गया था. पुलिस ने जिन बच्चों को रेस्क्यू किया. वे सभी बिहार के सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के निवासी हैं. बच्चों ने बताया कि उन्हें शाहनवाज उर्फ गुड्डू नामक एक शख्स ने उनके माता-पिता को महज 500-500 रुपये देकर खरीद लिया और बिहार से यहां ले आया।

मासूमों के साथ जानवरों जैसा सलूक…

यहां शाहनवाज़ उन्हें एक कमरे में बंद करके रोज सुबह से 6 बजे से रात के 11 बजे तक लाख के गहने बनवाता था. मासूमों के साथ जानवरों जैसा सलूक करता था. रेस्क्यू किए गए बच्चों ने पुलिस के सामने कहा कि इस काम में शाहनवाज की बीवी भी शामिल है. दोनों के खुद के चार बच्चे भी हैं. जिन्हें शाहनवाज और पत्नी छापेमारी के वक़्त वहीं छोड़कर भाग निकले।

8 एजेंसियों ने की थी रेड…

बचपन बचाओ आंदोलन संस्था को इन बच्चों के बारे में जानकारी मिली थी. जिस घर में बच्चों से बाल मजदूरी कराई जाती थी. उस घर में पिछले एक माह से बच्चों की पिटाई और रोने की आवाज आ रही थी. इस पर कॉलोनी के लोगों ने ही बचपन बचाओ आंदोलन को इसकी जानकारी दी. बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के साथ चाइल्डलाइन, प्रयास संस्था, बाल विकास धारा, डीसीपीयू, बाल कल्याण समिति, मानव तस्करी विरोधी यूनिट और भट्टा बस्ती थाना पुलिस ने घर पर रेड की. इस दौरान आरोपी ने घर पर बाहर से ताला लगा रखा था. बच्चे पहली मंजिल पर काम कर रहे थे. बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के सदस्य दूसरे मकान की छत पर जाकर आरोपी के घर में कूदे. इसके बाद बच्चों को रेस्क्यू किया।

बच्चों का कराया गया मेडिकल…

रेस्क्यू के बाद बच्चों का मेडिकल कराया गया. इनमें से 11 साल का एक बच्चा जांच में कुपोषित निकला. इसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. दूसरे बच्चे ने छाती में दर्द की शिकायत की. पता चला कि आरोपी ने उसे कुछ दिन पहले ही पीटा था, क्योंकि उसने चूड़ी पर सीधे मोती नहीं लगाए थे. आरोपी ने उसे पहले लोहे की रॉड से मारा. फिर छाती पर लात मारी. 9 साल का बच्चा दर्द से चिल्लाता रहा, लेकिन आरोपी शहनवाज नहीं रुका. डॉक्टर ने बच्चे की पसलियों में सूजन बताई है. रेस्क्यू टीम ने सभी बच्चों की उनके परिवार के सदस्यों से बात कराई है.

बच्चों से 18 घंटे कराता था काम…

बचपन बचाओ आंदोलन की कॉडिनेटर पार्वती ने बताया- आरोपी दो-चार की संख्या में बिहार से बच्चे लाता था. कुछ बच्चे एक माह पहले लाए गए. कुछ बच्चे एक साल से आरोपी के पास काम कर रहे हैं. बच्चों ने काउंसलिंग के दौरान खुद के साथ मारपीट, खाना नहीं देने और 18 घंटे काम कराने की बात बताई।

बच्चों को रॉड से पीटता था आरोपी…

कुछ बच्चों ने बताया- उन्हें खाने में केवल खिचड़ी दिया करते थे. एक ही तरह का खाना खाकर वह इतने परेशान हो चुके थे. कि जब खाना आता तो वह उसकी खुशबू से उल्टी कर देते थे. आरोपी उतना खाना दिया करता था, जिससे बच्चे केवल जिंदा रह सकें. एक बच्चे ने काउंसलिंग के दौरान बताया- एक दिन वह बीमार हो गया. उसे बुखार था. जब शहनवाज को इसका पता चला तो वह नीचे से लोहे की रॉड लेकर आया. उसे उल्टा लेटा कर जमकर मारा. इसके बाद उसे काम पर लगा दिया।

आरोपी पत्नी के साथ मौके से फरार…

तो वही भट्टा बस्ती सीआई विनोद कुमार ने बताया- बाल मजदूरी की जानकारी मिलने पर पुलिस टीम को मौके पर भेजा गया. मौके पर आरोपी के चार बच्चे मिले. आरोपी अपनी पत्नी के साथ मौके से फरार है. उसकी तलाश की जा रही है. जल्द उसे गिरफ्तार किया जाएगा।

बाल श्रम कराने पर सजा…

बता दे कि यदि कोई नियोक्ता 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी कार्य पर लगाता है. तो ऐसा करने पर उसे दो साल तक की कैद की सजा या जुर्माना या सजा और अधिकतम 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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