कानपुर में बनेंगी प्लास्टिक की सड़कें
जल्द कानपुर में प्लास्टिक की सड़के देखने को मिलेंगी। प्लास्टिक के सही इस्तेमाल के लिए कानपुर में प्लास्टिक की सड़कें बनाये जाने का प्रस्ताव दिया गया है। प्लास्टिक सभी के लिए हानिकारक है। जल, जंगल और जमीन के लिए जानलेवा साबित हो रहे प्लास्टिक का उपयोग अब सड़क बनाने में किया जाएगा। हालांकि यह प्रयोग बहुत नया नहीं है, लेकिन उत्तर भारत में इसका पहली बार प्रयोग होने जा रहा है।
सड़कें मानसून के दौरान टिकाऊ होती हैं
कानपुर में प्रयोग की हुई प्लास्टिक से एक किमी सड़क बनाने की योजना है। प्लास्टिक से बनी सड़कें सस्ती होने के साथ अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित होंगी। प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करके बनाई जाने वाली सड़कें मानसून के दौरान टिकाऊ होती हैं। इसके अलावा ये 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी नहीं पिघलतीं। हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने इस पर शोध किया है। एचबीटीयू में अगले साल से एमटेक में प्लास्टिक रोड टेक्नोलाजी पाठ्यक्रम शुरू किए जाने का प्रस्ताव है।
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अध्ययन में पाया गया है कि सड़क बनाने की सामग्री में करीब 15 फीसद हिस्सा प्लास्टिक कचरा होता है। प्रो. प्रदीप कुमार ने बताया कि सामान्य सड़कों (तारकोल व गिट्टी से बनी) की उम्र करीब 15 साल होती है। वहीं प्लास्टिक से बनी सड़कों की उम्र सामान्य सड़कों की तुलना में 25 फीसद अधिक होती है। एक आकलन के अनुसार देश में प्रतिदिन करीब 15 हजार टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। इसमें से करीब नौ हजार टन प्लास्टिक को री-साइकिल कर काम में ले लिया जाता है। बाकी हिस्सा कूड़े में पड़ा रहने के साथ नालियों को जाम करता है।
पहला गर्म गिट्टी के साथ प्लास्टिक को मिलाया जा सकता है
प्लास्टिक के प्रबंधन का यह एक बेहतर तरीका भी है। प्लास्टिक से बनी सड़कों के लिए गिट्टी व तारकोल मिलाने के दो तरीके हैं। पहला गर्म गिट्टी के साथ प्लास्टिक को मिलाया जा सकता है। इसके अलावा तारकोल के साथ प्लास्टिक को मिलाकर बाद में गिट्टी मिलाई जा सकती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्लास्टिक कचरे के छोटे छोटे टुकड़े कर उन्हें गर्म डामर में मिलाया जाता है। इस मिश्रण को पत्थरों पर डाला जाता है।
केरल में भी प्लास्टिक की सड़के बनाई जा रही हैं
प्लास्टिक कचरे में पॉलीथिन, टॉफी-चॉकलेट के रैपर से लेकर शॉपिंग बैग तक शामिल होते हैं। 1प्रो. प्रदीप कुमार ने बताया कि अमेरिका में प्लास्टिक की सड़के सबसे अधिक हैं। वहां पर इसके अच्छे परिणाम सामने आये हैं, इसलिए वहां पर इनका लगातार निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा नीदरलैंड में भी प्लास्टिक की सड़कें बनाई जा रही हैं। वहां पर भी निर्माण चल रहा है। भारत की बात करें तो दक्षिण भारत के केरल में भी प्लास्टिक की सड़के बनाई जा रही हैं। पीडब्ल्यूडी शहर में प्लास्टिक की सड़क बनाने की योजना बना रहा है। यह सड़क एक किलोमीटर की होगी। मालरोड में इसे बनाए जाने की योजना है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने पीडब्ल्यूडी से प्लास्टिक से सड़क बनाने के लिए कहा था। इस पर काम शुरू हो गया है।
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