पीलीभीत: जहां 30 वर्षों तक रहा मां-बेटे का राज…

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Loksabha 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मतदान होना है. पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा, लिहाजा इसके लिए अब कम ही वक्त बचा है. ऐसे में सियासी हलचल भी तेज हो गई है और राजनीतिक पार्टियों बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जी-तोड़ मेहनत में जुट गई हैं. ऐसे में आपको हम बताने जा रहे हैं जर्नलिस्ट कैफ़े की खास शो सीट का समीकरण में पीलीभीत के बारे में…

इस सीट पर गांधी परिवार का कब्ज़ा …

बता दें कि पीलीभीत लोकसभा सीट उत्तराखंड के पहाड़ों से सटी हुई है. यहां पिछले 30 सालों से BJP का कब्ज़ा है जिसमें खास कर मां- बेटे का. वही मां- बेटे जो गांधी परिवार से अलग होकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस जिले को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. अमेठी – रायबरेली को राहुल- सोनिया तो पीलीभीत को वरुण और मेनका के नाम से…

गौरतलब है कि पीलीभीत की सीट गन्ना और धान की खेती के लिए मशहूर है जहां मोदी का जादू नजर आता है. इतना ही नहीं इस सीट में 25 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है लेकिन इसके बावजूद भी साइकिल को अहमियत न देकर कुछ मुस्लिम BJP को समर्थन करते हैं. लेकिन इस बार यह देखना होगा कि मुस्लिम इस बार BJP को समर्थन करते हैं या नहीं…

मेनका गांधी 6 बार बनी सांसद…

आपको बता दें कि मेनका गांधी इस सीट से 6 बार सांसद चुनी जा चुकी हैं. मेनका पहली बार 1989 में जनता दल की टिकट से पीलीभीत से सांसद बनी थीं. मेनका अब तक दो बार निर्दलीय और एक बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं.

पीलीभीत पर जातीय समीकरण…

अगर इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां हिन्दू वोटरों के साथ 25 फ़ीसदी मुस्लिम और 17 फ़ीसदी दलित मतदाता हैं जो किसी भी दल का खेल बनाते हैं. इसके अलावा यहां राजपूत और किसान भी हैं जो BJP को समर्थन करते हैं.

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आज़ादी के बाद बनी सीट

पीलीभीत लोकसभा सीट का गठन आज़ादी के बाद हुआ था और यहां से पहली बार 1951 में हुए चुनाव में कांग्रेस के मुकुंद लाल अग्रवाल सांसद बने थे. इसके बाद यहां सभी दल के सांसद चुने गए लेकिन 1989 में मेनका ने जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता और 1996 से यह सीट BJP के कब्जे में है.

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