PFI बैन: भड़के नेताओं ने की आरएसएस प्रतिबंध की मांग, कही ये बात

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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की आतंकी फंडिंग व अन्य गतिविधियों के चलते भारत में 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है. यूएपीए एक्ट के तहत इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसके अलावा 8 और संगठनों को बैन किया गया है. इसको लेकर अब सियासत शुरू हो गई है. केरल में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने पीएफआई बैन को लेकर आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. इसके अलावा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी भड़के हुए हैं.

जानिए क्या कहा नेताओं ने…

केरल में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा ‘पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना कोई उपाय नहीं है. हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं. आरएसएस पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है. पीएफआई और आरएसएस एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.’

एआईएमएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्विटर हैंडल से सवाल करते हुए लिखा ‘पीएफआई पर बैन लगाया गया लेकिन खाजा अजमेरी बम धमाकों के दोषियों से जुड़े संगठन नहीं बैन हुए. ऐसा क्यों? सरकार ने दक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?’

ओवैसी ने इसको लेकर एक चैनल से कहा कि ‘मैंने हमेशा पीएफआई के ‘Radical approach’ का विरोध किया है, लेकिन बैन का समर्थन नहीं कर सकते.

आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा ‘पीएफआई की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. जिसमें आरएसएस भी शामिल है. सबसे पहले आरएसएस को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है. आरएसएस पर दो बार पहले भी बैन लग चुका है. सनद रहे, सबसे पहले आरएसएस पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था.’

लालू यादव ने कहा कि ये लोग हनुमान जी की पाठ कर रहे हैं मस्जिदों के सामने, ये क्या बताता है, ये बताता है कि इनको बिल्कुल सांप्रदायिकता फैलाकर देश में दंगा फसाद करके शासन में बना रहना चाहते हैं. अब इनका दिन लद गया है.

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