मप्र : मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को नहीं मिल पाई राहत

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भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पेड न्यूज मामले में तीन वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराए गए मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की ओर से उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ(Gwalior bench) में दायर याचिका पर उन्हें बुधवार को कोई राहत नहीं मिल पाई। न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय कर दी है।

मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के न्यायाधीशों के तबादले के विरोध में अधिवक्ताओं के मंगलवार से शुक्रवार तक हड़ताल पर चले जाने के कारण न्यायाधीश अग्रवाल के सामने मिश्रा ने स्वयं अपना पक्ष रखा, और निर्वाचन आयोग के फैसले पर स्थगन की मांग की। जबकि प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती ने न्यायाधीश से मिश्रा को स्थगन न देने का अनुरोध किया।

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मिश्रा ने न्यायालय के बाहर कहा, “न्यायाधीश के सामने अपनी बात रखी और कहा कि पेड न्यूज का कोई मामला ही नहीं है। मैं वर्ष 2013 में दोबारा निर्वाचित होकर आया। फरियादी के पास पेड न्यूज का कोई सबूत नहीं है, कोई भी घर में छापकर पेड न्यूज बता सकता है, लिहाजा चुनाव आयोग के आदेश पर स्थगन दिया जाए।”

प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती ने स्थगन न दिए जाने का अनुरोध करते हुए अधिवक्ताओं की हड़ताल का जिक्र किया और तारीख आगे बढ़ाने की अपील की।

भारती के अधिवक्ता प्रतीत बिसौरिया ने मीडिया को बताया, “अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते मिश्रा और भारती स्वयं अदालत में उपस्थित हुए। दोनों की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ, साथ ही आयोग का अधिवक्ता भी उपस्थित नहीं हुआ, जिसके कारण दोनों ने स्वयं अपना पक्ष रखा।

न्यायाधीश अग्रवाल ने दोनों की बातें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा और मंत्री मिश्रा को किसी तरह की राहत नहीं देते हुए, मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई तय कर दी है।”

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ज्ञात हो कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में मिश्रा दतिया से निर्वाचित हुए थे। इस चुनाव में पैसे देकर खबर छपवाने और खर्च का सही ब्यौरा न देने का आरोप लगाते हुए उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे राजेंद्र भारती ने चुनाव आयोग में वर्ष 2009 में शिकायत की थी, जिस पर चुनाव आयोग का 24 जून को फैसला आया। आयोग ने आरोपों को सही पाया और मिश्रा को तीन साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया।

आयोग के फैसले के खिलाफ मंत्री मिश्रा ने उच्च न्यायालय का रुख किया। 30 जून की सुनवाई में चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय की मांग की, जिसे न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई पांच जुलाई को तय की थी। दूसरी ओर भारती की ओर से केवियट दायर है, जिसमें कहा गया है कि किसी तरह का फैसला लिए जाने से पहले उनका भी पक्ष सुना जाए।

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