‘पारले जी’ ने अम्बानी-अडानी को भी पीछे छोड़ा, जानिए पूरा इतिहास

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कोरोना संकट से जूझ रहे भारत में लॉकडाउन की वजह से काफी लोगों का रोजगार ठप पड़ गया है लेकिन पारले-जी बिस्कुट ने एक नया ही कीर्तिमान स्थापित किया है।
आपको जानकर हैरत होगी कि लॉकडाउन पीरियड में पारले-जी बिस्कुट की इतनी अधिक बिक्री हुई है, जिसने 82 सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। मात्र 5 रूपए में बिकने वाला बिस्कुट आज हर आम से लेकर खास तक का चहेता है और इसकी ब्रिक्री ने ये बखूबी साबित कर दिया है कि दाम नहीं बल्कि स्वाद बड़ी चीज होती है।

गौरतलब है कि लॉकडाउन के बीच पारले-जी ने अब तक के इतिहास में सबसे अधिक बिस्कुट बेचने का रेकॉर्ड बनाया है, पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि कंपनी का कुल मार्केट शेयर करीब 5 फीसदी बढ़ा है और इसमें से 80-90 फीसदी ग्रोथ पारले-जी की सेल से हुई है, लॉकडाउन के दौरान ये बिस्कुट जहां प्रवासी मजदूरों के लिए पेट भरने का साधन बना वहीं दूसरी ओर बहुत से लोगों ने अपने घरों में पारले-जी बिस्कुट का स्टॉक जमा कर के भी रखा।

अभी तो चलिए देश में कोरोना संकट है लेकिन इसमें किसी को कोई शक नहीं है कि भारत का शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां ‘पारले जी’ का बिस्कुट आता नहीं होगा, ‘बचपन से बड़ा कोई स्‍कूल नहीं, क्‍यूरोसिटी से बड़ी कोई टीचर नहीं’ का संदेश देते हुए झोपड़ी से लेकर रईसजादों तक की पहली पसंद रहे इस बिस्कुट से साथ बहुत लोग बचपन से जवान और फिर बूढे हुए हैं लेकिन शायद उनमें से काफी लोगों को पता नहीं होगा की पारले-जी में ‘जी’ का क्या मतलब होता है।

दरअसल, पारले-जी में ‘जी’ का मतलब जीनियस (प्रतिभाशाली) है और यही कंपनी का नारा भी है, ‘पारले जी’ नाम को रेलवे स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है जो स्वयं पार्ले नामक पुराने गांव पर आधारित है, वैसे ‘जी’ का अर्थ यहां पर ग्लूकोज से भी है, कुल मिलाकर कंपनी का संदेश यही है कि जो कि पारले कंपनी के ग्लूकोज बिस्कुट को खाता है वो जीनयस बन जाता है।

मालूम हो कि साल 1929 में भारत जब ब्रिटिश शासन के अधीन था तब ‘पारले जी’ नामक एक छोटे सी कंपनी खुली थी जो मिठाइयों और टॉफियों (जैसे कि मेलोडी, कच्चा मैंगो बाईट आदि) बनाती थी, एक दशक बाद वहां बिस्कुट का उत्पादन भी शुरू कर दिया गया जो कि बाद में भारत की सबसे बड़ी खाद्य उत्पाद कंपनियों से एक हो गई, खास बात ये है कि यह कंपनी और भी बहुत सारी चीजें बनाती हैं जैसे कि सॉस, टॉफी, केक लेकिन इन सब का मार्केट बिस्कुट के आगे फेल है।

अक्सर ‘पारले जी’ बिस्कुट के पैकेट पर छपी बच्चे की फोटो के बारे में चर्चा होती रहती है कि आखिर यह बच्चा कौन है? कुछ दिनों पहले इसे नीरू देशपांडे के बचपन की फोटो बताई गई लेकिन नहीं दोस्तों यह फोटो किसी मॉडल या सेलिब्रेटी की नहीं बल्कि एक ऐनिमेटड पिक्चर है जिसका निर्माण 1979 में किया गया था।

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