Paris Paralympic 2024: योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में जीता सिल्वर मेडल
पेरिस में खेले जा रहे पैरालिंपिक 2024 में आज भारत के खाते में एक और मेडल आ गया. हरियाणा के योगेश कथुनिया ने पुरुषों के डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में रजत पदक जीत भारत का मान बढ़ा दिया है. 27 वर्षीय योगेश ने अपने पहले ही प्रयास में 42.22 मीटर दूर डिस्कस फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया और मेडल पक्का कर लिया. इससे पहले योगेश ने टोक्यों में भी सिल्वर मेडल जीता था. अब तक भारत के खाते में कुल 8 मेडल हो गए है.
गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित थे योगेश …
गौरतलब है कि योगेश को महज 9 साल की उम्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम हो गए थे जिसकी वजह से वह चल नहीं सकते थे. उनके पिता चंडीमंदिर छावनी में सेना में तैनात थे. योगेश ने चंडीगढ़ के इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी और 3 साल के अंदर ही 12 साल की उम्र में योगेश ने फिर से चलने की ताकत हासिल कर ली. बाद में उन्होंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई की.
लगातार दो पैरालिंपिक में जीता सिल्वर मेडल…
बता दें कि इससे पहले योगेश ने साल 2020 में टोक्यो में हुए पैरालिंपिक में भी सिल्वर जीता था. योगेश कथुनिया ने 2020 के पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई किया और पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में भाग लिया. उन्होंने 44.38 मीटर दूर डिस्कस फेंका और अपना पहला पैरालंपिक रजत पदक जीता. पैरालिंपिक में उपलब्धि के लिए उन्हें नवंबर 2021 में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था.
हुनर के चलते पैरा स्पोर्ट्स को अपनाया
बता दें की योगेश में बचपन से ही खेल का बहुत शौक था. लेकिन बीमारी से ग्रसित हो जाने के बाद भी उन्होंने अपने हुनर को देखा और जीवन में पैरा स्पोर्ट्स को अपना लिया, जिसके चलते 2018 में बर्लिन में 2018 विश्व पैरा एथलेटिक्स यूरोपीय चैंपियनशिप में 45.18 मीटर डिस्कस फेंककर विश्व रिकॉर्ड बनाया. पैरालिंपिक 2020, विश्व चैम्पियनशिप 2023 और एशियाई पैरा खेल 2022 जैसे प्रमुख टूर्नामेंटों में पदक जीतने में उनकी निरंतरता ने पैरा एथलेटिक्स में अपनी अलग पहचान बनाई.
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गोल्ड के लिए करूँगा मेहनत – योगेश
पेरिस पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने के बाद योगेश ने कहा- मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश की, लेकिन यह मेरा दिन नहीं था.मुझे हमेशा गोल्ड जीतना अच्छा लगता है लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा और मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं. मैं भविष्य में और मेहनत करूंगा और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा.