ज्ञानवापी मामले पर इन मुस्लिम देशों में चल रहीं ऐसी खबरें, आप भी जानें

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले का ज्ञानवापी मामले के विवाद का चर्चा भारत क साथ-साथ दुनियाभर में है. ज्ञानवापी मामले पर ज्यादातर मुस्लिम देश अपनी नजरें जमाए हुए हैं. ज्ञानवापी मामले की खबरों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की की मीडिया प्रमुखता से चला रही है. बता दें हिंदू पक्षकारों ने मस्जिद परिसर से शिवलिंग मिलने का दावा किया है तो वहीं मुस्लिम पक्षकार इसे शिवलिंग नहीं फव्वारा बता रहे हैं. हालांकि ये मामला अभी कोर्ट में है और इस पर बहस जारी है.

Gyanvapi Masjid Case: शिवलिंग में नहीं होता छेद...मुस्लिम पक्ष के दावे पर  जब सर्वे टीम ने सींक डालकर देखा | gyanvapi survey team inspect so called  shivling in gyanvapi mosque - Navbharat

इस मामले पर पाकिस्तान की मीडिया ने कहा कि ऐसे मामलों को भारत की निचली अदालतें बढ़ावा दे रही हैं. पाक अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, ‘अयोध्या में बाबरी मस्जिद को तोड़ने के लिए निचली अदालत के फैसले ने ही उकसाया था.’ पाक अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, ‘बीजेपी सरकार में ऐसी घटनाएं कॉमन हैं. मुस्लिम नेता इस बात को मानते हैं कि मस्जिदों के अंदर इस तरह के सर्वे को बीजेपी की अप्रत्यक्ष रूप से सहमति मिली हुई है.’

उधर, तुर्की में इस मामले को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है. तुर्की की समाचार एजेंसी अनाडोलू के मुताबिक ‘भारत में मस्जिदों पर हुए दावों की वजह से दहशत का माहौल हो गया है. बीजेपी अपने वोट बैंक के लिए चाहती है कि ये तनाव बना रहे. ऐसे मुद्दे असल मुद्दों (बेरोजगारी, अशिक्षा वगैरह) से लोगों का ध्यान भटका देते हैं.’

वहीं, बांग्लादेश के अखबार ‘द डेली स्टार’ के मुताबिक, ‘भारत में ऐसे मामलों की वजह से मुस्लिमों की धार्मिक जगहों को खतरा पहुंचता है. यहां अल्पसंख्यकों पर हिंदू राष्ट्रवादी काफी समय से हमला कर रहे हैं और वह भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं.’ ‘द डेली स्टार’ के मुताबिक ‘मुस्लिम शासन ने कई मंदिरों को तोड़ा, ऐसा हिंदू कट्टर लोग ही मानते हैं, जबकि इतिहासकार मानते हैं कि मुगलों ने केवल कुछ ही मंदिरों को तोड़ा था. केवल राजनीतिक रंग के लिए इस संख्या को बढ़ाकर बताया जाता है.’

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