स्वतंत्रता दिवस पर खास : गांधी जी के बारे में ये बाते नहीं जानते होंगे आप

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एक बार दक्षिण अफ्रीका में रेल यात्रा के समय गांधी जी को टिकट होने के बावजूद एक अंग्रेज और टिकट कलेक्टर ने “काला” होने के कारण ट्रेन से धक्का मार कर उतार दिया था। एक बार गांधी जी का जूता चलती ट्रेन में से नीचे गिर गया।

पहले केस में उनकी टांगें कांपने लगीं…

उन्होंने तुरंत अपना दुसरा जूता भी उतार कर ट्रेन फेंक दिया। पूछने पर उन्होंने कहा “एक जूता मेरे क्या काम आएगा। अब जिसे मेरे दोनों पैर का जूता मिलेगा, वो उसे पहन तो सकेगा।”गांधी जी ने जब अपनी क़ानून की पढ़ाई ख़त्म कर इंग्लैंड में वकालत शुरू की तो वह पूरी तरह असफल साबित हुए। यहां तक कि अपने पहले केस में उनकी टांगें कांपने लगीं और वह पूरी बहस किये बिना ही बैठ गए थे।

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इसका परिणाम यह हुआ कि गांधी जी केस हार गए। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने दी थी। गांधी जी की आत्माकथा “सत्य के साथ मेरा प्रयोग” जो 1927 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक को गांधी जी ने गुजराती भाषा में लिखा था।

दंगे को शांत कराने के लिए उपवास पर बैठे थे

गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर उन्हें सम्मान देने के लिए एप्पल के संस्थापक “स्टीव जॉब्स” गोल चश्मा पहनते थे। गांधी अपने जीवन में कभी अमेरिका नहीं गए और न ही कभी हवाई जहाज में बैठे। 14-15 अगस्त 1947 को पहले स्वतंत्रता दिवस की आधी रात गांधी जी नेहरू जी का भाषण सुनने के लिए दिल्ली में मौजूद नहीं थे, उस दिन गांधी जी तत्कालीन पूर्वी बंगाल के नोआखाली में हुए हिंदू-मुसलमान के दंगे को शांत कराने के लिए उपवास पर बैठे थे।

गांधी जी की शवयात्रा को आजाद भारत की सबसे बड़ी शवयात्रा कहा गया था। इस शवयात्रा में करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और करीब 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे। महात्मा गांधी की शव यात्रा लगभग 8 किलोमीटर लंबी थी।साभार

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