आज नवरात्रि का तीसरा दिन…ऐसे करे मां की आराधना
मिर्जापुर जिले में चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri) के तीसरे दिन मंगलवार को मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की गई। मां की मंगला आरती के बाद मां के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों की लंबी-लंबी लाइनें देखी गईं। मालूम हो, मां दुर्गा की 9 शक्तियों की तीसरी स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है।
घंटे की प्रचंड आवाज से राक्षस भी थर थर कांपते है
मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे आकार का अर्धचन्द्र होने के कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है। इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है और इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं, जो कि विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उदधृत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत करते हैं।
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भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है। विन्ध्याचल तीर्थ पुरोहित मिठ्ठू मिश्र के मुताबिक जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक दुर्गा सप्तसती का पाठ करता है, वह संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है।
भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है
माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना भक्तों को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त कर इहलोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं। मान्यता है कि मनुष्य को निरंतर मां चंद्रघंटा के पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए और इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मान पूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए और कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट स्वरुप प्रदान करना चाहिए। इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
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