लालच में अंधे हो गये हैं केजरीवाल : कपिल
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने की खबर पर AAP के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने वीडियो संदेश देकर सीएम केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा। कपिल मिश्रा ने कहा कि एक आदमी के लालच के कारण दिल्ली में 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हुई है। केजरीवाल लालच में अंधे हो चुके थे इसका खामियाजा ही इन 20 विधायकों को चुकाना पड़ा है।
20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया है
इन विधानसभाओं की जनता को देना पड़ा है। इनमे से कोई भी एमएलए टिकट मांगने के लिए केजरीवाल के पास नहीं गया था। केजरीवाल चाहते थे कि सरकार के पैसे से इन विधायकों को तनख्वाह दी जाए, गाड़ियां दी जाए, दफ्तर दिए जाए। केजरीवाल चाहते थे कि इन्हीं संसाधनों का प्रयोग केजरीवाल बाकि राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए कर सकें। इसीलिए आज इन 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हुई है। आने वाले चुनावों दिल्ली की जनता केजरीवाल की हिसाब करेगी। आपको बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया है।
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इस मामले पर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह अहम फैसला, उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप सरकार कोई काम नहीं कर रही है। विजेंद्र गुप्ता ने चुनाव आयोग के फैसले को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की नैतिक हार बताया है, उन्होंने कहा कि केजरीवाल को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल ने इस प्रक्रिया की सुनवाई में जितनी बाधा उत्पन्न करनी थी वो कर ली है. आज सच सामने आ गया है।
फैसला संविधान के अनुसार है और विधि संवत है
आप के यह सभी 20 विधायक अयोग्य करार दे दिए गए है। विजेंद्र गुप्ता ने कहा, अभी इस मामले में राष्ट्रपति जी को जल्द फैसला लेना चाहिए. हम राष्ट्रपति जी से मिलकर उनसे इस पर जल्दी कार्रवाई की मांग करेंगे. विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार को हाईको्र्ट जाने का आधिकार है. लेकिन अपने फायदे के लिए किसी भी तरह से कार्रवाई को रोका ना जाए. आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के मामले में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है, ‘मैं समझता हूं चुनाव आयोग का फैसला संविधान के अनुसार है और विधि संवत है।
दायर की गई याचिका पर सुनवाई शुरू की थी
राष्ट्रपति को अधिकार है इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने का। राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिशों को मानते ही हैं। 20 विधायक चाहें तो हाईकोर्ट भी जा सकते हैं। लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी फैसले संविधान प्रदत्त ही करता है। साल 2015 फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के 6 विधायकों को मंत्री बनाया था। थोड़े दिन बाद सीएम ने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव बना दिया था। इसी साल चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई शुरू की थी।
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सुनवाई के दौरान ही आम आदमी पार्टी के 21 में से एक विधायक जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन) इस्तीफा दे दिया था। इसलिए उनके खिलाफ दायर मामला खत्म हो गया था। 20 विधायकों पर मामला चलता रहा। अब जब चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुना दिया है। इन 20 विधायकों की सदस्यता चुनाव आयोग के फैसले पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही समाप्त हो जाएगी। आयोग के फैसले के खिलाफ यह विधायक हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
लाभ के पद पर थे 21 विधायक
चुनाव आयोग ने अपने फैसले में कहा था कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 तक लाभ का पद रखा था। आम आदमी पार्टी के जिन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होगी उनके नाम इस प्रकार है। शरद कुमार, सोमदत्त, आदर्श शास्त्री, अवतार सिंह, नितिन त्यागी, अनिल कुमार बाजपेयी, मदन लाल, विजेंद्र गर्ग विजय, शिवचरण गोयल, संजीव झा, कैलाश गहलोत, सरिता सिंह, अलका लांबा, नरेश यादव, मनोज कुमार, राजेश गुप्ता, राजेश ऋषि, सुखबीर सिंह, जरनैल सिंह, प्रवीण कुमार।
ZEENEWS
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