11 मई को भारत ने दिया था अमेरिका को चकमा, मनाया जाने लगा ‘नेशनल टेक्नोलॉली डे’
आज विश्व में नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाता है। 11 मई भारत के इतिहास में काफी खास दिन है, इस दिन भारत ने अमेरिका को चकमा देकर गुपचुप तरीके से तीन परमाणु परीक्षण किए थे। इन टेस्ट के साथ ही भारत दुनिया के ताकतवर मुल्कों की लिस्ट में शामिल हो गया था। भारत के इस अद्वितीय प्रयास से अमेरिका समेत कई देशों ने दांतों तले उंगली दबा ली थी। पोखरण में हुए तीन परमाणु परीक्षण के बाद से ही 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस यानि नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाता है।
11 मई को हुए परमाणु परीक्षण का इतिहास :
11 मई 1998 में हुआ था परमाणु परीक्षण II
पोखरण की भूमि पर 11 मई, 1998 को हुए परमाणु परीक्षण-II के आज 25 साल पूरे हो गए हैं। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे और पूरी दुनिया को साबित कर दिया था कि भारत अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार है। पोखरण में 11 मई साल 1998 को किए गए परमाणु परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था। अपने शीर्षक के तहत ही भारत ने पूरी दुनिया में अपनी ताकत का भी परिचय दे दिया था। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारत ने सफलतापूर्वक अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था।
एक के बाद एक हुए तीन परीक्षण
खेतोलाई से 5 किमी दूर फायरिंग रेंज में एक के बाद एक तीन हुए परीक्षण हुए, जिससे पूरा इलाका गूंज उठा और आसमान की तरफ बादल का गुबार दिखा। इसी के साथ पूरे पोखरण इलाके में यह पता चल गया कि इस धरती ने भारत को परमाणु ताकतों वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया है। भारत के परमाणु शक्ति बनने की खुशी और गर्व का पल पोखरण के लोगों के जेहन में आज 25 साल बाद भी वैसा ही है। उसके बाद 13 मई को न्यूक्लियर टेस्ट किए गए।
सीआईए ने की थी पहरेदारी पर नाकाम रहे
परमाणु परीक्षण के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे। भारत के इस ऐलान से पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी, क्योंकि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी थी। यहां तक कि परमाणु परीक्षण होने के बाद भी किसी को इसके बारे में पता नहीं चला था। भारत की इस सफलता पर अमेरिका के CIA ने भी माना कि भारत उन्हें चकमा देने में सफल रहा। क्योंकि अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) भारत की हरकतों पर पल-पल नजर बनाए रखता था। सीआईए ने भारत की कड़ी पहरेदारी करने के लिए अरबों खर्च कर 4 सैटेलाइट लगाए थे। इन सब चुनौतियों के बावजूद भी भारत ने पोखरण की जमीन पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन शक्ति को अंजाम दिया था।
इसलिए रखा गया था परीक्षण को गोपनीय
परमाणु परीक्षण II को बेहद ही गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया था कि किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लग पाई। परीक्षण को गुप्त रखने की पीछे वजह यही थी कि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बने।
दरअसल, साल 1995 में भी भारत ने परमाणु परीक्षण करने की योजना बनाई थी लेकिन अमेरिका नहीं चाहता था कि कोई उसकी बराबरी कर सके। साल 1995 में हो रहे परमाणु परीक्षण को अमेरिकी सैटेलाइट और खुफिया एजेंसी ने पूरी तरह से पानी फेर दिया था। भारत ने उस से सबक लिया, इसलिए दूसरे परीक्षण को एकदम गुप्त रखा गया था।
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