शादी के दिन विवाह से भगाया, मोहल्ले के लोगों ने कराई शादी
यूपी में इलाहाबाद में शादी के बाद एक ऐसा रिसेप्शन हुआ जो किसी फिल्म की कहानी की तरह था। अखबार बेचने वाले एक गरीब पिता की बेटी की शादी कुछ नेक लोगों ने मिलकर कराई। यह पिता आत्महत्या करने जा रहा था क्योंकि उसकी बेटी और दामाद को सामूहिक विवाह से बाहर निकला दिया गया था। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह सामूहिक विवाह अग्रवाल समाज का था और वह अग्रवाल नहीं था। यह वही सामूहिक विवाह था जो रविवार को इलाहाबाद में आयोजित किया गया था और समाचार की हेडलाइन बनने के लिए इसमें नव दंपतियों को टॉयलेट + सीट उपहार में दी गई थी।
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पिता अखबार बेचकर घर चलाता था
अखबार बेचकर घर का गुजारा करने वाले पिता ज्योति प्रकाश गौर ने बताया की उनकी बेटी की शादी सामूहिक विवाह में होनी थी। जायसवाल समाज की ओर से आयोजित इस सामूहिक विवाह समारोह में उनकी शादी की सारी तैयारियां पूरी हो गईं थी। वर पक्ष विवाह समारोह में शामिल होने केएन काटजू स्कूल पहुंच गए थे। दुल्हन पक्ष दुल्हे का इंतजार कर ही रहे थे कि उन्हें आयोजकों ने बताया कि उनकी शादी इस समारोह में नहीं हो सकती क्योंकि मधू अग्रवाल समाज से नहीं है। उन्हें वहां से भगा दिया गया। दुल्हे कौशल जायसवाल ने बताया कि उन्होंने आयोजकों को पहले ही बता दिया था कि मधु जायसवाल नहीं है।
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जिंदगी भर वह वो दिन नहीं भूल सकते : ज्योति
ज्योति ने बताया कि जिंदगी भर वह वो दिन नहीं भूल सकते हैं। जिस तरह उन्हें, उनकी बेटी और उनके परिवार को वहां से भगाया गया वह बहुत अपमानजनक था। वह भी सिर्फ इसलिए की वे अग्रवाल नहीं हैं। उसे लगा की वह आत्महत्या कर ले क्योंकि उसके पास इतने रुपये नहीं है कि वह उसकी बेटी के हाथ पीले कर सके। कौशल ने बताया कि 18 दुल्हों में वह सबसे आगे घोड़ी पर चढ़कर समारोह स्थल पहुंचा। वहां उससे कहा गया कि वह अग्रवाल समाज से बाहर शादी कर रहा है इसलिए उसकी शादी इस समारोह में नहीं हो सकती। उसे वहां से निकाल दिया गया।
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मोहल्ले ने मिलकर मधु की शादी कराई
कार्यक्रम के संयोजक टीएन जायसवाल ने बताया कि उन लोगों ने सभी 18 कपल्स को पंजीकरण नंबर दिया था। यह लड़का अग्रवाल समाज से बाहर शादी कर रहा था जबकि शादी समारोह सिर्फ अग्रवाल समाज के लोगों के लिए थी इसलिए उसे वहां शादी की अनुमति नहीं दी गई। ज्योति को शादी के समारोह से बिना शादी के निकाल देने की खबर मोहल्ले में आग की तरह फैल गई। सबने मधु की शादी उसी दिन कराने का फैसला लिया। पूरे मोहल्ले ने मिलकर तुरंत रुपये एकत्र किए और उसी रात (10 दिसंबर) को मधु की शादी करवाई। शादी के सारे खर्च उठाने के साथ सभी लोगों ने मधु का रिसेप्शन भी कराया। ज्योति ने कहा कि अगर उसके मोहल्ले के नेक लोग आगे न आते तो वह आत्महत्या कर लेता।