मुद्रा लोन का एनपीए अब 14 हजार 358 करोड़
मोदी ने चार सालों में 9 km की सड़क बनाकर 6km का रोड शो किया और उसके बाद मुद्रा लोन स्कीम की जमकर तारीफ की आइए जानते है कि इस मुद्रा लोन की हकीकत क्या है ?
मुद्रा लोन का एनपीए अब 14 हजार 358 करोड़
आंकड़ों के मुताबिक मुद्रा लोन का एनपीए अब 14 हजार 358 करोड़ का हो चुका है, यानी इस लोन को चुकाए जाने की संभावना बहुत कम है। यह राशि एनपीए के आंकड़े को और बढ़ाएगी।
मुद्रा लोन में एनपीए और बढ़ सकता है
इस मामले में बैंकों ने सरकार और आरबीआई को साफ तौर पर बता दिया है कि मुद्रा लोन में एनपीए और बढ़ सकता है। ऐसे में सरकार बताए कि मुद्रा लोन के तहत आगे क्या किया जाए? लेकिन चुनावी साल होने के वजह से सरकार चुप है।
यह एक बड़ा घोटाला भी हो सकता है
बढ़ता एनपीए मुद्रा लोन देने के तौर तरीकों पर भी सवाल खड़े करता हैं कि लोन देने में भारी गड़बड़ी की गयी है । यह एक बड़ा घोटाला भी हो सकता है । वित्त मंत्रालय इस नजरिये से भी जांच करने की तैयारी में है।
मोदी ने भले ही मंच से फेक दिया हो पर कितने लोगों ने लोन लेकर कारोबार शुरू किया उसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नही है ।मामला सिर्फ एनपीए का नहीं है। मुद्रा लोन को लेकर स्वरोजगार के जो दावे किए जा रहे हैं, उसमे भी काफी झोल है ।
12 करोड़ 78 लाख लोगों को लोन दिया जा चुका है
मुद्रा योजना के तहत अब तक 12 करोड़ 78 लाख लोगों को लोन दिया जा चुका है। ये लोन तीन अलग अलग कैटिगरी शिशु, किशोर और तरुण के तहत दिए गए। शिशु कैटिगरी के तहत 50 हजार रुपये तक, किशोर के तहत 5 लाख रुपये तक और तरुण के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं।
किसी कारोबार को शुरू करने के लिए किशोर कैटिगरी का लोन यानी 5 से 10 लाख रुपये तक का लोन सबसे कारगर माना जाता है। लेकिन अब तक इस कैटिगरी में लोन पाने वालों की संख्या सिर्फ 1.3 फीसदी है। यानी 12 करोड़ 78 लाख लोगों में से सिर्फ 17 लाख 57 हजार लोगों को ही मोटी रकम का लोन मिला है। इसका मतलब है कि मुद्रा लोन लेकर कारोबार शुरू करने वालों की संख्या काफी कम है।
सरकार के पास अभी इस बात के आंकड़े भी नहीं है कि मुद्रा लोन के जरिये कितने रोजगार मार्केट में आए। जितने लोगों को मुद्रा लोन के तहत लोन दिया जा रहा है, सरकार यह मान रही है कि उतने रोजगार तो मार्केट में आ गए। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि सरकारी दबाव में भले ही बैंक मुद्रा लोन बांट रहे हों लेकिन आगे चलकर ये बैंकों के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि छोटे लोन में बैंकों को फायदा कम खर्च ज्यादा होता है।
(ये लेखक के निजी विचार)
(लेखक बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी हैं)