अब जेल में भी हो रहे है गंगवार

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एक वक्त था जब जेल बदमाशों के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती थी. जब कभी पुलिस का दबाव बढ़ता या विरोधी गैंग से खतरा महसूस होता था तो बदमाश किसी पुराने जुर्म में जमानत तुड़वाकर जेल चले जाते थे और वहीं से अपने गैंग का संचालन करते थे. अब तो गैंगवार जेल में ही शुरू हो गया है. एक के बाद एक बदमाशों की जेलों में हत्याएं हो रही है. जिसको मौका मिल रहा है वो अपने विरोधी को सलाखों के पीछे ही टपका दे रहा है. जेल में होने की वजह से बदमाश अपनी सुरक्षा के इंतजाम के लिए जेल प्रशासन के मोहताज रहते हैं.

यूपी की जेलों में हुईं कुछ चर्चित हत्याएं

-9 जुलाई 2018 में यूपी की ही बागपत जेल में गैंगस्टर प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजंरगी को गोलियों से भून दिया गया था.
– मुन्ना बजरंगी को दस गोलियां मारी गयी थीं. इस मामले में पुलिस ने 22 जिंदा कारतूस बरामद किए थे.
-मुन्ना बजरंगी को साथी कैदी सुनील राठी ने गोली मारी थी.
-3 मई 2020 को बागपत जेल में ही ऋषिपाल नामक युवक की राड से पीटकर हत्या कर दी गयी थी. इसके साथ ही तीन लोग बुरी तरह से घायल हुए थे.
-13 मई 2004 बनारस जिला जेल में बंद पानदरीब के पार्षद रहे बंशी यादव को जेल के गेट पर बुलाकर गोलियों से छलनी कर दिया गया था.
-मुन्ना बजरंगी के शूटर अन्नू त्रिपाठी और बाबू यादव ने इस घटना को अंजाम दिया था.
-2 मार्च 2005 को बनारस सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात अन्नू त्रिपाठी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.
-उसे जेल में ही बंद बदमाश संतोष गुप्ता उर्फ किट्टू ने गोली मारी थी.
-उरई जेल में बंदी अक्षय कुमार की 9 जनवरी 2001 को संदिग्ध मौत हो गयी थी. परिजनों शरीर पर जगह-जगह चोट के निशान और गले पर कसे होने का निशान देखकर हत्या का आरोप लगाया था.

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मुख्तार अंसारी गिरोह निशाने पर

पूर्वांचल समेत लगभग पूरे यूपी में एक वक्त में अपना दबदबा रखने वाले मुख्तार अंसारी गैंग विरोधी गिरोह के निशाने पर है. विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में जेल में बंद मऊ सदर विधायक मुख्तार के गुर्गे एक के बाद एक मौत के घाट उतारे जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से शासन द्वारा की जा रही जबरदस्त कार्रवाई से गैंग कमजोर हो रहा साथ ही उससे जुड़े बदमाश जेल की सलाखों के पीछे पहुंच रहे हैं. यहां भी उनकी जान खतरे में रहती है. मुख्तार अंसारी के सबसे खास गुर्गे मुन्ना बजंरगी की हत्या बागपत जेल में कर दी गयी थी. उस पर हत्या, अपहरण समेत 40 मुकदमें दर्ज थे. 2009 में मुम्बई से गिरफ्तार हुआ था. 2005 में बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय की हत्या में आरोपित था. इसके पहले भदोही जेल में इसकी हत्या की साजिश रची गयी थी तब इसकी पत्नी ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके मर्डर का शक जताया था. चित्रकूट जेल में मारा गया मेराज भी मुख्तार गैंग से जुड़ा था. उसके कारोबर में मदद करता था.

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कुछ अलग ही है जेल की दुनिया

अपराध पर नियंत्रण के लिए बनी जेलों की दुनिया ही कुछ अलग है. इसे जेल प्रशासन के साथ मिलकर बदमाश बनाते हैं. दोनों के बीच तालमेल कुछ एसा होता है कि सबके सुख-सुविधा का ध्यान रखा जा सके. तभी शासन के लाख चाहने के बावजूद यूपी की कई जेलों में जैमर दुरुस्त नहीं हो सके. जेल की गतिविधियों के लिए कैमरे लगाए जरूर गए लेकिन वह काम नहीं करते हैं. रुपये देकर सारी सुख-सुविधा खरीदी जा सकती है. जो गैंग ज्यादा ताकतवर होता है उसका सिक्का ही जेल में चलता है. जेल में किसी की हत्या के लिए जरूरी सामान भी इसी व्यवस्था से पहुंचते हैं. एक वक्त था जब गाजीपुर जेल में मुख्तार अंसारी के नाम से बैरक होता था. इसमें उसके गुर्गों के लिए खेलने-कूदने के इंतजाम से लेकर मछली-मुर्गा तक की व्यवस्था होती थी. बनारस जेल में जितनी बार प्रशासन का छापा पड़ता है उतनी बार कैदियों से पास से मोबाइल बरामद होता है. अक्सर जेलों से मोबाइल बरामद होने की खबर मिलती है. जेल की दुनिया को इस बैलेंस को जो बिगाड़ने की कोशिश करता है वह अंजाम भुगतता है. अपराधियों को लिए बेहद सख्त माने जाने वाले बनारस जिला जेल के डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की 23 नवम्बर 2013 में गोली मारकर हत्या बदमाशों ने इसलिए कर दी क्योंकि वो जेल में उनकी चलने नहीं देते थे.

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