अब बस…! थूक मामलों पर योगी सरकार लगाएगी लगाम
वह देश जहां पर अन्न को देवता माना जाता है. उसको ग्रहण करने से पहले मंत्रोच्चरण और भोग लगाने की परंपरा है, वहां पर आज स्थिति ऐसे बन गई है कि, उससे छेड़छाड़ करने वालों के लिए गैरजमानती कानून लाने की जरूरत आन पड़ी है. यह हमारी संस्कृति और समाज दोनों के लिए ही बेहद ही शर्मनाक है, लेकिन यह सरकार की मजबूरी बन गई है. इसका कारण है कि अभी तक ये मामले सड़क किनारे लगी रेहड़ियों, दावतों और होटलों तक ही सीमित थे.
वहीं अब ये मामले घरों तक पहुंच गए हैं. बीते दिनो वायरल हुए एक वीडियो ने लोगों के पैरों तले जमीन हटा दी. यह मामला गाजियाबाद का था जहां पर एक मेड अपनी पेशाब से कई महीनों से आटा गूंथती आ रही थी. इस बात का खुलासा तब हुआ जब परिवार के लोगों की तबीयत बिगड़ी और शक होने पर वीडियो रिकॉर्ड किया गया. हालांकि, इस मामले में तो आरोपी मेड को गिरफ्तार कर लिया गया है.लेकिन ऐसे कितने ही मामले सामने आते हैं जो एक समय पर तेजी से वायरल होते हैं और फिर ठंडे पड़ जाते हैं. वहीं अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि खाने के साथ छेड़छाड़ करने वालो के खिलाफ प्रदेश की योगी सरकार सख्त रवैय्या अपनाने के साथ-साथ इन मामलों के खिलाफ सख्त कानून लाने की तैयारी कर रही है.
थूक मिलावट मामलो में ये सरकारें हुई सख्त
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी खाने – पीने की चीजों में थूक और ह्यूमन वेस्ट मिलाने के मामलों पर चिंता जाहिर की है. साथ ही ऐसे मामलों के खिलाफ डीजीपी को सख्ती से पेश आने के निर्देश जारी किए हैं. इसके अलावा धामी ने कहा है कि, ‘इस तरह के किसी दुष्कृत्य के लिए उत्तराखंड में कोई स्थान नहीं है.
ऐसी घटनाओं से न सिर्फ खाद्य पदार्थ दूषित होते हैं, भावनाएं भी आहत होती हैं. इस तरह की घटनाओं पर हम कठोर कार्रवाई करेंगे ‘. इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार की ओर से सभी जिलों में पुलिस को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि होटल, ढाबा और बाकी खाने के किसी भी स्थान पर काम करने वाले कर्मचारीयों का शत – प्रतिशत सत्यापन सुनिश्चित किया जाए और सीसीटीवी लगाने के अलावा खुफिया जानकारी जुटाने को कहा है.
मिलेगी खाने की जानकारी पाने का अधिकार
उत्तराखंड के अलावा प्रदेश की योगी सरकार थूक या कोई भी ह्यूमन वेस्ट मिलाने के मामलों के खिलाफ अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है. वहीं इन मामलों के खिलाफ दो अध्यादेश ‘छद्म एवं सौहार्द विरोधी क्रियाकलाप निवारण एवं थूक प्रतिषेध अध्यादेश 2024’ और ‘यूपी प्रिवेंशन ऑफ कॉन्टेमिनेशन इन फूड (कंज्यूमर राइट टू नो) अध्यादेश 2024’ लाए जाएंगे.
इन अध्यादेशों के अंतर्गत थूककर मिलाकर खाना परोसना गैरजमानती अपराध होगा. साथ ही इस मामले में सजा के भी सख्त प्रावधान रहेंगे. साथ ही इस अध्यादेश के आने के बाद सभी को अपने खाने के बारे में पूरी जानकारी लेने का अधिकार होगा. इसमे खाना कहां बन रहा है ? कौन बना रहा है और खाना कैसा है ? यह सब जाने का अधिकार मिलेगा. साथ ही दोनों कानून एक दूसरे से जुड़े हुए होंगे. इस अध्यादेश में ग्राहक को खाने के बारे में वैसे ही जानकारी का अधिकार होगा जिस प्रकार से आरटीआई में सूचना को मिला हुआ है.
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थूक मिलाने की प्रवृत्ति के पीछे क्या है मनोवैज्ञानिक कारण ?
खाने में थूक मिलाना या कोई भी ह्यूमन वेस्ट मिलाने की प्रवृत्ति पर फिलहाल कोई शोध तो नहीं किया गया है. वहीं मनोविज्ञान इसे किसी भी बीमारी का नाम देने से इनकार करते हैं. इसको लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक मनोवैज्ञानिक मार्क बरोज ने एक इंटरव्यू में कहा है कि, यह केवल एक आदत है और लोग ऐसा जानते हुए करते हैं.
हालांकि, मेडिकल जर्नल पबमेड सेंट्रल के मुताबिक, यह कई मनोवैज्ञानिक कारणों से हो सकता है जैसे, किसी व्यक्ति, विचारधारा, जेंडर या धर्म से परेशान व्यक्ति को अपने लक्ष्य के खाने को बदनाम करने में मज़ा आता है. ये भी इंटरमिटेंट एक्सप्लोजिव डिसऑर्डर हो सकते हैं, जिसमें मरीज को थूक, पेशाब या सीमन मिलाकर अपना गुस्सा कम होता लगे.