बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ही नहीं , इन 43 फिल्मों पर लग चुका है प्रतिबंध, जानें ‘बीबीसी डॉक्यूमेंट्री’ विवाद के बड़े कारण

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ऐसा कुछ पहली बार नहीं हो रहा है कि भारत में किसी डॉक्यूमेंट्री या फिल्म पर रोक लगाई गई है. बल्कि इससे पहले भी भारत में 43 फिल्मों पर रोक लग चुकी है. हालांकि कुछ को बाद में फिर से शुरू कर दिया गया था और कुछ को अभी भी प्रतिबन्ध जारी है. जिसमे से सबसे ज्यादा प्रतिबन्ध कांग्रेस की सत्ता रहने पर लगाया गया, तो आइए जानते है उन फिल्मो के बारे में जिनको भारत सरकार के प्रतिबन्ध को झेलना पड़ा था.

प्रधानमंत्री पर बानी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर अभी दुनिया भर में इसपर हंगामा मचा हुआ है. भारत से लेकर लंदन तक इसका विरोध देखने को मिल रहा है, इसमें कुछ लोग ऐसे भी है जो भारत सरकार के द्वारा लगाए गए इस प्रतिबन्ध के खिलाफ खड़े हो गए हैं. खासतौर पर विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बना लिया है।

वामदलों के छात्र संगठनों ने जेएनयू और जामिया में इस प्रतिबंधित डॉक्यमेंट्री के स्क्रीनिंग को लेकर बवाल किया। विपक्ष दलों ने इस डॉक्यूमेंट्री पर लगे प्रतिबंध को लेकर सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे देश के खिलाफ एक प्रोपेगेंडा बताया। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता मिली है। यही कारण है कि जानबूझकर इस तरह की भ्रामक और झूठी डॉक्यूमेंट्री को जारी किया जा रहा है।

पहले समझते हैं बीबीसी विवादित डॉक्यूमेंट्री के बारें में…

आपको बताते हैं कि आखिर इस डॉक्यूमेंट्री में क्या है? ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने ‘India: The Modi Question‘ शीर्षक से दो पार्ट में एक नई सीरीज बनाई है। इसके दोनों पार्ट जारी हो चुके हैं। इसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी के शुरुआती राजनैतिक सफर के बारे में बातें की गई हैं। वहीं इसमें RSS ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) के साथ उनके संबंध, भाजपा के बढ़ते कद के साथ मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात में उनकी नियुक्ति की चर्चा भी इसमें शामिल है। दरअसल इस पुरे डॉक्यूमेंट्री में सबसे ज्यादा चर्चा 2002 के गुजरात दंगों के बारे में किया गया है। जिसमे पीएम मोदी की छवि एक विशेष धर्म के नेता के तौर पर पेश की गई है। भारत में ये सीरीज नहीं प्रसारित हुई, लेकिन लंदन समेत दुनिया के कई देशों में इसे बीबीसी ने चलाया। इसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

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क्या है विवाद के बड़े कारण…

– केंद्र सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी की छवि को गलत तरह से पेश किया गया है।

– भारत और ब्रिटेन के रिश्ते को तोड़ने की कोशिश का आरोप। दोनों देशों के बीच ट्रेड डील होनी है। आरोप लगाया गया कि भारत और ब्रिटेन में बैठे कुछ लोगो ने मिलकर इस डील को तोड़ने के लिए इस तरह के डोक्युमेंट्री का सहारा लिया।

– इस साल भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इसकी अगुआई कर रहे हैं। आरोप है कि जी-20 सम्मेलन को देखते हुए ही इस तरह भ्रामक डॉक्यूमेंट्री को रिलीज किया गया। इसके जरिए पीएम मोदी पर दाग लगाने की कोशिश हो रही है।

– पहली बार ऋषि सुनक के रूप में ब्रिटेन में कोई भारतीय मूल का हिंदू प्रधानमंत्री बना है। ऋषि सुनक और पीएम मोदी की अच्छी दोस्ती है। आरोप ये भी है कि इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए ब्रिटेन में पीएम ऋषि सुनक की छवि को भी खराब करने की कोशिश हो रही है।

– पूरी डॉक्यूमेंट्री में हिंदू धर्म के लोगों को गलत तरह से पेश किया गया है। ऐसे में आरोप ये भी है कि बीबीसी ने अपनी इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए हिंदू धर्म के लोगों को बदनाम करने की साजिश रची है।

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ये हैं वो फिल्मे, जिन्हें बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से पहले भारत में प्रतिबंधित किया गया था…

-भारत में तमाम कारणों से फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने का इतिहास काफी लंबा है। रिकॉर्ड के अनुसार, 1955 में पहली बार भारत में समर टाइम नाम की एक फिल्म को प्रतिबंधित किया गया था। इस फिल्म में इटली के एक विवाहित पुरुष के साथ प्यार में पड़ने वाली एक अमेरिकी महिला के चरित्र को दिखाया गया था। यही कारण है कि इसे भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसमें अलावा 1959 में नील अक्षर नीचे, 1963 में गोकुल शंकर फिल्म पर भी भारत सरकार ने रोक लगा दिया था।

-1963 में बनी गोकुल शंकर पर आरोप है कि इसमें महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की मनोवैज्ञानिक प्रेरणाओं को चित्रित किया गया था। 1973 में गरम हवा नाम की एक फिल्म पर भी नौ महीने का प्रतिबंध लगा था। इस फिल्म में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान एक मुस्लिम परिवार के बारे में बताया गया था।

-सबसे ज्यादा चर्चा 1975 में बनी फिल्म आंधी को लेकर हुई। इसपर भी तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में जब जनता पार्टी की सरकार आई तो इस पर लगी रोक हटा ली गई थी। इस फिल्म में संजीव कुमार, सुचित्रा सेन ने एक्टिंग की थी और गुलजार ने डायरेक्शन दी थी। तब कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि ये फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ उनके पति के रिश्तों पर आधारित थी। इसमें किशोर कुमार और लता मंगेश्वर ने गीत गाए थे।

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भारत में प्रतिबंध को झेलने वाली फिल्में…

आकड़ो के अनुसार भारत में अभी कुल 43 फिल्में ऐसी है जिन्हे प्रतिबंध को झेलना पड़ा है। इसमें कई ऐसी फिल्मे है जिन्हे प्रतिबंध से बहाल हरी झंडी दे दी गई थी। जिन फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया गया था, उनमें 1955 में समर टाइम, 1959 में नील अक्षर नीचे, 1963 में गोकुल शंकर, 1973 में गरम हवा, 1975 में आंधी, 1977 में किस्सा कुर्सी का, 1971 में सिक्किम, 1979 में खाक और खून, 1984 में इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम, 1987 में पति परमेश्वर, 1993 में कुत्रपथिरिकै, 1994 में बैंडिट क्वीन, 1996 में काम सूत्र : अ टेल ऑफ लव, 1996 में फायर, 2001 में पंच, 2003 में हवाएं, 2004 में द पिंक मिरर, फाइनल सॉल्युशन और हवा आने दे, 2005 में ब्लैक फ्राइडे, अमु, वॉटर, 2009 में हैद अनहद, 2011 में द गर्ल विद ड्रैगन टैटू, चत्रक, 2013 में पापिलो बुद्धा, 2014 में गुर्जर आंदोलन अ फाइट फॉर राइट, 2014 में नो फायर जोन, कौम द हीरे, 2015 में फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे, मैं हूं रजनीकांत, अनफ्रिडम, इंडियाज डॉटर, पत्ता पत्ता दा सिंघन दा वैरी, पोर्कलाथिल ओरु पू, द मास्टरमाइंड जिंदा सुक्खा, द पेंटेड हाउस, मुत्त्रुपुलिया, 2016 में मोहल्ला अस्सी, धरम युद्ध मोर्चा, 2017 में नीलम और तूफान फिल्मों को प्रतिबंध झेलना पड़ चुका है। इनमें कई फिल्मों में उग्रवादी और आतंकवादियों का महिमामंडन किया गया था। कुछ फिल्मों को नग्नता और कंटेंट की वजह से रोक झेलना पड़ा।

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