कड़ी सुरक्षा के बीच 6 साल बाद PAK लौटीं मलाला

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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पाकिस्तान लौट गई हैं। तालिबानी आतंकियों द्वारा किए गए हमले के बाद यह पहली बार है जब वो पाकिस्तान पहुंची हैं। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार मलाला गुरुवार की सुबह दुबई के रास्ते पाकिस्तान पहुंचीं। छह साल पहले 2012 में तालिबानी आतंकियों ने उन पर हमला किया था और उन्हें गोली मारी थी, इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया था और इंग्लैंड में रह रही थीं।

पाक मीडिया के मुताबिक, गुरुवार सुबह करीब 1:41 बजे पाकिस्तान के बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उनका विमान (अमिरात EK-614) उतरा। उनके पाकिस्तान आगमन पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। विमान से उतरने के बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच एक स्थानीय होटल में ले जाया गया। सुरक्षा के मद्देनजर उनकी यात्रा का विवरण गुप्त रखा गया। गौर हो कि मलाला ने 2018 के जनवरी में दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में कहा था कि मुझे विश्वास है, मैं एक दिन पाकिस्तान जरूर जाऊंगी और अपने देश को देखुंगी।

पाक पीएम कर सकते हैं मुलाकात

बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी मलाला से मिलेंगें। जियो न्यूज के मुताबिक मलाला पारंपरिक पाकिस्तानी सलवार, कमीज और दुपट्टा पहने विमान से बाहर निकलीं। उनके साथ उनकी मां और उनके पिता भी एयरपोर्ट पर देखे गए। जानकारी के मुताबिक, मलाला अपने परिवार और मलाला फंड के सीईओ के साथ ‘मीट द मलाला’ कार्यक्रम में शामिल होंगी। वो चार दिनों तक पाकिस्तान में रहेंगी। गौर हो कि दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा के लिए मलाला ने मलाला फंड की स्थापना की है।

15 साल की उम्र में आतंकियों ने मारी थी गोली

दरअसल, मलाला युसुफजई पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार लिए अभियान चला रही थीं। वो सभी लोगों से तालिबान के हुक्मनामों को दरकिनार कर अपनी बहन-बेटियों को स्कूल भेजने की वकालत करती थीं। इससे तालिबान के लड़ाके नाराज हो गए और अक्तूबर 2012 को 15 साल की मलाला जब घर जाने के लिए स्कूल वैन में सवार हो रही थीं, उनके सिर में गोली मार दी गई।

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इसके बाद उन्हें पेशावर के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालात बिगड़ने पर उन्हें और इलाज के लिए लंदन भेजा दिया गया। मलाला लंदन में ही रहती हैं। तालिबानी आतंकियों उन पर किए गए हमले का अंतरराष्ट्रीय स्तर निंदा हुई और मलाला को दुनिया भर से लोगों का साथ मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तालिबानी हमले को मात देकर दुनिया के सामने महिलाओं की आवाज को बुलंद करने वाली महिला बनकर उभरीं। 2014 में मलाला को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला। मलाला 17 साल की उम्र में नोबेल पाने वाली सबसे युवा पुरस्‍कार विजेता हैं।

कौन हैं मलाला यूसुफजई?

मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ। मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन यूसुफजई है। तालिबान ने 2007 से मई 2009 तक स्वात घाटी पर कब्जा कर रखा था। इसी बीच तालिबान के भय से लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था। मलाल तब आठवीं की छात्रा थीं और उनका संघर्ष यहीं से शुरू होता है। 2008 में तालिबान ने स्वात घाटी पर अपना नियंत्रण कर लिया। वहां उन्होंने डीवीडी, डांस और ब्यूटी पार्लर पर बैन लगा दिया। साल के अंत तक वहां करीब 400 स्कूल बंद हो गए। इसके बाद मलाल के पिता उसे पेशावर ले गए जहां उन्होंने नेशनल प्रेस के सामने वो मशहूर भाषण दिया जिसका शीर्षक था- हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट टू एजुकेशन? तब वो केवल 11 साल की थीं। साल 2009 में उसने अपने छद्म नाम ‘गुल मकई’ से बीबीसी के लिए एक डायरी लिखी। इसमें उसने स्वात में तालिबान के कुकृत्यों का वर्णन किया था। बीबीसी के लिए डायरी लिखते हुए मलाला पहली बार दुनिया की नजर में तब आईं जब दिसंबर 2009 में जियाउद्दीन ने अपनी बेटी की पहचान सार्वजनिक की।

मलाला पर तालिबानी हमला

2012 को तालिबानी आतंकी उस बस पर सवार हो गए जिसमें मलाला अपने साथियों के साथ स्कूल जाती थीं। उनमें से एक ने बस में पूछा, ‘मलाला कौन है?’ सभी खामोश रहे लेकिन उनकी निगाह मलाला की ओर घूम गईं। इससे आतंकियों को पता चल गया कि मलाला कौन है। उन्होंने मलाला पर एक गोली चलाई जो उसके सिर में जा लगी। मलाला पर यह हमला 9 अक्टूबर 2012 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी में किया था। गंभीर रूप से घायल मलाला को इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया। यहां उन्हें क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया। देश-विदेश में मलाला के स्वस्थ्य होने की प्रार्थना की गई और आखिरकार मलाला वहां से स्वस्थ होकर लौटीं।

कई पुरस्कारों से सम्मानित की गईं मलाला

जब वह स्वस्थ हुई तो अंतरराष्‍ट्रीय बाल शांति पुरस्कार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011) के अलावा कई बड़े सम्मान मलाला के नाम दर्ज होने लगे। 2012 में सबसे अधिक प्रचलित शख्सियतों में पाकिस्तान की इस बहादुर बाला मलाला युसूफजई के नाम रहा. लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली साहसी मलाला यूसुफजई की बहादुरी के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा मलाला के 16वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित किया गया।मलाला को साल 2013 में भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। 2013 में ही मलाला को यूरोपीय यूनियन का प्रतिष्ठित शैखरोव मानवाधिकार पुरस्कार भी मिला।

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