दीवार पर सांई की आकृति… देखने के लिए भक्तों का लगा हूजुम
शिरडी में साईं बाबा के चमत्कार की कहानी तो हम दशकों से सुनते आए हैं लेकिन अबकी बार दीवार पर साईं की आकृति उभरने की खबर के बाद शिरडी साईं भक्तों से भर गया है। साईं के हजारों भक्त बुधवार रात से वहां अपने भगवान का आशीर्वाद ले रहे हैं। साथ ही सवाल भी, क्या ये वाकई साईं का चमत्कार है? बुधवार की रात से शिरडी के साईं बाबा के दर पर भक्तों का ऐसा मेला लगा है जिसकी कतार लगातार लंबी होती जा रही है।
साईं की आकृति को लेकर जंग की शुरुआत
साईं के श्रद्धालुओं की टोली शिरडी के द्वारकामाई मंदिर की ओर खिंची चली आ रही है। जुबां पर सिर्फ साईं का जाप और दिल में उस तस्वीर को देखने की लालसा जिसे दीवार पर अवतरित का होने का दावा किया जा रहा है। साथ ही साथ साईं के दरबार में एक बार फिर से शुरू हो गया है आस्था और विज्ञान का दंगल। शिरडी के साईं की आकृति को लेकर जंग की शुरुआत हो गई है।
दीवार पर साईं के प्रकट होने की सच्चाई
लेकिन उससे परे लोगों का शिरडी आना जारी है। दिन में साई बाबा की आकृति के दर्शन नहीं हो रहे हैं लेकिन रात के वक्त हर भक्त की नजर द्वारकामाई मंदिर की उस दीवार की ओऱ टिक जा रही है जो इसे देखने दूर-दूर से आ रहे हैं। दीवार पर साईं के प्रकट होने की सच्चाई को नमन करने के लिए सिर्फ आम भक्त ही नहीं बल्कि खास भी पहुंच रहे हैं।
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बॉ़लीवुड के संगीतकार गायक अनु मलिक भी शिरडी पहुंच गए। शीश झुकाया, एक निजी से अलौकिक अहसास को साझा किया। हालांकि दीवार पर साईं की तस्वीर को लेकर साईं के कुछ भक्त ये भी दावा कर रहे हैं कि साईं चमत्कार में उनका भी भरोसा है लेकिन अबकी बार आकृति के पीछे विज्ञान का आसान तर्क है। वो ये कि रात में बाहर की रोशनी का रिफ्लेक्शन यानी परावर्तन की वजह से साईं की आकृति का अहसास हो रहा है। विश्वास और अंधविश्वास में बड़ा ही बारीक फर्क होता है।
साईं की तस्वीर सिर्फ उन्हीं को नजर आ रही है…
आस्था की डोर पर भक्त किसी भी मंजिल को हासिल करने का दम भरते हैं। शायद यही वजह है कि विज्ञान के किसी भी तर्क को मानने के लिए उनका दिल और दिमाग तैयार नहीं है। दावा ये भी है कि साईं की तस्वीर सिर्फ उन्हीं को नजर आ रही है जिनके कण कण में बाबा बसते हैं।
साईं की शक्ति और अफवाह के दावे का महायुद्ध पुराना है। विषय ऐसा कि आगे भी ऐसे मौके आएंगे लेकिन फिलहाल फैसला उन पर छोड़ते हैं जिनके लिए आस्था ही सबकुछ है या फिर जो विज्ञान के तर्क को ही आधार मानते हैं। साईं बाबा के जन्म और बचपन के बारे में ज्यादा बातें किसी को पता नहीं। करीब 18 साल की उम्र में वो शिरडी आए, फिर वापस कहीं गए और जब दोबारा आए तो फिर वहीं के होकर रह गए।
दयालू महात्मा को शिरडी का साईं बाबा कहते हैं
एक फकीर के रूप में वो शिरडी आए थे और अपनी ममता, दया, करुणा और चमत्कारी व्यक्तित्व से साईं बन गए। खुद भीख मांगकर खाए लेकिन दूसरों का पेट भरने के लिए भूखा भी रह जाए। ऐसे संत, फकीर, दयालू महात्मा को शिरडी का साईं बाबा कहते हैं। साईं ने कभी अपने को भगवान नहीं कहा लेकिन उनके भक्तों से पूछिए तो किसी भगवान से कम नहीं हैं साईं बाबा।साभार
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