New Delhi: कैसे होगी नैया पार ,सीट शेयरिंग को लेकर बवाल
सीट शेयरिंग में विपक्षी गठबंधन उलझा
New Delhi: लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग में ही विपक्षी गठबंधन उलझ गया है. पेंच सीट शेयरिंग पर फंसा है. सीटों के बंटवारे में सबसे अधिक मुसीबत कांग्रेस के सामने आई है. हाल ही में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस की स्थिति यह है कि उसके सहयोगी उसकी मुराद पूरी करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. इसके उलट कांग्रेस को बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में इंडिया गठबंधन के साथी उम्मीद से कम सीटें ऑफर कर रही है. यह हाल उस राष्ट्रीय पार्टी का है, जिसने 1984 के लोकसभा चुनाव में 404 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था.
कांग्रेस को किया जा रहा दरकिनार-
बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए अब कांग्रेस राज्यों में गिनी-चुनी सीटें मांग रही है जिसे भी सहयोगी दलों की ओर से दरकिनार किया जा रहा है. कांग्रेस के सामने असमंजस यह है कि वह क्षेत्रीय दलों के प्रस्तावों को ठुकराने की स्थिति में नहीं है. अगर वह क्षेत्रीय दलों के प्रस्ताव को ठुकराकर अकेले दम पर चुनाव में उतरती है तो उसपर गद्दारी का ठप्पा लग सकता है. पंजाब जैसे राज्य में स्थानीय नेता किसी तरह के गठबंधन को खुदकुशी मान रहे हैं , फिर भी केंद्रीय नेतृत्व खामोश है.
255 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है कांग्रेस-
दिल्ली में गुरुवार को कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई जिसमें लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर चर्चा हुई. घोषणा पत्र और सीट बंटवारे पर भी पार्टी नेताओं ने बात की. सूत्रों के अनुसार इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने जीत की संभावना वाली 255 सीटों पर फोकस करने की सलाह दी. आजादी के बाद से यह पहला मौका होगा, जब कांग्रेस इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
बंगाल, बिहार और झारखंड में कुल 8 सीट पर लड़ेगी कांग्रेस
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सिर्फ मुर्शिदाबाद और मालदा में जीत हासिल की थी, इसलिए ममता बनर्जी ने दो सीटें ऑफर की है. कांग्रेस बंगाल की 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. दूसरी ओर ममता बनर्जी पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि टीएमसी इंडिया में बनी रहेगी मगर पश्चिम बंगाल में वह अकेले बीजेपी का मुकाबला करेगी.
महाराष्ट्र में 48 सीटों पर चार दावेदार, शिवसेना 23 सीटों पर अड़ी
महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) ने 23 सीटों पर दावा ठोका है, जबकि कांग्रेस 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. वहां इंडिया के तीसरे सहयोगी शरद गुट की एनसीपी और वंचित बहुजन अघाड़ी भी है. इस तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस को अधिकतम 15 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है. जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने दो सीटों पर चुनाव लड़ने की ख्वाहिश जाहिर की है जबकि एनसीपी और पीडीपी पहले ही 3-3 सीटों पर अड़ी है.
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यूपी में चलेगा अखिलेश का फार्मूला
गठबंधन में समाजवादी पार्टी ने साफ किया है कि वह 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस और आरएलडी के लिए 15 सीटें छोड़ेगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने चार सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 21 सीटों पर दावेदारी कर रही है, जो उसने 2009 में जीते थे.