मुहिम : कूड़ा बीनने वाले बच्चों को बना रहें ‘डाॅक्टर’
न्यूरो सर्जन डॉ. प्रकाश खेतान ने कुछ डॉक्टरों की मदद से ‘द 21 डॉक्टर्स’ नाम की मुहिम शुरू की है। इसके तहत 9वीं से 12वीं के आर्थिक रूप से कमजोर 21 मेधावी बच्चों को मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते हैं और खर्च भी उठाते हैं। इलाहाबाद के एक न्यूरो सर्जन ने कुछ अन्य डॉक्टरों की मदद से ‘द 21 डाक्टर्स’ नामक अनूठी मुहिम शुरू की है।
अन्य संसाधनों का खर्च भी यह डॉक्टर्स स्वयं उठा रहे
इसके तहत 9वीं से 12वीं में पढ़ रहे आर्थिक रूप से कमजोर 21 मेधावी बच्चों को चुनते हैं। मेडिकल प्रवेश परीक्षा की क्रमिक तैयारी कराने के अलावा किताबों, पढ़ाई-लिखाई और अन्य संसाधनों का खर्च भी यह डॉक्टर्स स्वयं उठा रहे हैं। इन बच्चों को डॉक्टर बनाना इनका मुख्य मकसद है। डॉ. प्रकाश खेतान ने दो साल पहले यह मुहिम शुरू की थी। आस-पास की झुग्गी झोपड़ियों में जाकर उन्होंने ऐसे मेधावी बच्चों को तलाशा। अपने घर में ही क्लास रूम बनाया और रोजाना चार घंटे बच्चों को पढ़ाने लगे।
कूड़ा बीनने वाले परिवार के बच्चे भी इसमें शामिल
अब इस मुहिम में उनके मित्र डॉक्टर भी जुड़ गए हैं। पहले बैच में 9वीं और 10वीं के बच्चे चुने गए थे। जिन्हें कक्षा के पाठ्यक्रम के साथ-साथ मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए भी तैयारी कराई जा रही है। दूसरे बैच में 11वीं और 12वीं के बच्चों को भी चुना गया है। डॉ. प्रकाश ने बताया कि हम सरकारी स्कूलों, झुग्गी बस्तियों में जाकर ऐसे बच्चों को खोजते हैं, जिनमें पढ़ने की ललक है, लेकिन गरीबी उनके सपनों की उड़ान के आड़े आ रही है। कूड़ा बीनने वाले परिवार के बच्चे भी इसमें शामिल हैं।
डॉक्टर साहब ने मुझे कुछ कर गुजरने का हौसला दिया
डॉ. खेतान के अलावा शहर के कुछ नामी चिकित्सक भी बच्चों को रोज पढ़ाते हैं। इस क्लास में पढ़ने वाले 12वीं के एक छात्र मिथिलेश ने बताया, मेरेपिता मजदूरी करते हैं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा की इतनी बेहतर तैयारी कर पाऊंगा। लेकिन डॉक्टर साहब ने मुझे कुछ कर गुजरने का हौसला दे दिया है। ऐसे ही एक छात्र विवेक कुमार ने बताया कि उसके माता-पिता मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। कक्षा नौ में विवेक के 51.66 प्रतिशत अंक थे, लेकिन यहां आने के बाद हाईस्कूल में उसने 72 प्रतिशत अंक हासिल किये।
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