आज हम बात करेंगे एक ऐसी शख्सियत की जिनकी लोगों पर कृपा हो जाए तो उनकी किस्मत ही बदल जाती है… लोग तो इन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं… मानें भी क्यों न उन्होंने कई ऐसे चमत्कार दिखाए कि देश में ही नहीं विदेशों से तक लोग अपनी खाली झोली लेकर पहुंचते है और देखते ही देखते इन सभी की झोली भर जाती है जी हाँ हम बात कर रहे हैं हनुमान जी के अवतार के रूप में प्रसिद्ध बाबा नीम करौली की.
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चमत्कार करने वाले नीम करौली बाबा
देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में बना कैंची धाम, जिसे लेकर मान्यता है कि यहां कोई भी आता है तो वो खाली हाथ नहीं लौटता. जी हां ये आश्रम है बाबा नीम करौली का. इस धाम को कैंची मंदिर , नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है. इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है… बाबा नीब करौली को भगवान हनुमान की उपासना करने के बाद अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त हुई थीं. लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं. लेकिन बाबा बेहद साधारण तरीके से रहते थे और अपने पैर किसी को नहीं छूने देते थे. कहते हैं बाबा हमेशा ही राम नाम का स्मरण करते रहते थे. विश्व की कई ऐसी हस्तियां भी बाबा के सामने सिर झुकाती हैं. जिनके नाम सुनकर आप भी चौक जाएंगे. नीम करौली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है. जूलिया रॉबर्ट्स तो महाराजजी से इतना प्रभावित हुई कि उन्होंने हिन्दू धर्म ही अपना लिया.
कम उम्र में हुई ज्ञान की प्राप्ति
नीम करौली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है. नीम करौली बाबा जी का मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. उनका जन्म स्थान अकबरपुर उत्तर प्रदेश में सन 1900 के आस पास हुआ था. अकबरपुर के किरहीनं गांव में ही उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई. और 11 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी. उन्होंने जल्दी ही घर छोड़ दिया और लगभग 10 साल तक घर से दूर रहे. इस दौरान उन्होंने गुजरात से 25 किलोमीटर दूर एक गांव में 7-8 साल का समय बिताया था. जहां उन्होंने साधना की थी. एक दिन उनके पिता उनसे मिले और गृहस्थ जीवन का पालन करने को कहा. पिता के आदेश को मानते हुए नीम करौली बाबा घर वापस लौट आये. और दोबारा गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया. नीम करौली बाबा जी गृहस्थ जीवन के साथ-साथ धार्मिक और सामाजिक कार्य भी करते थे. ऐसा माना जाता है कि जब वो 17 साल के हुए. तब तक वो सबकुछ जानते थे. जो आज के युग मे समझ मे नहीं आ सकता. उनको इतनी छोटी सी आयु मे सारा ज्ञान था. नीम करौली बाबा ने लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे. बाबा नीम करौली जी को महाज्ञानी और अन्तर्यामी होने के बावजूद भी घमंड नहीं था. और वो साधारण जीवन ही जीते थे.
नीम करौली बाबा के अविश्वस्नीय चमत्कार
ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं. जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं. जिनमें से एक कहानी भंडारे की भी है. कहा जाता है कि एक बार भंडारे के दौरान कैंची दाम में घी की कमी पड़ गई थी. बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया. उसे प्रसाद बनाने के लिए जब उपयोग किया गया. तब उस कनस्तर में पानी घी में बदल गया. इतना ही नहीं, माना जाता है कि बाबा नीब करौरी अपने भक्तों से बहुत प्यार करते थे. इसलिए एक बार अपने भक्तों को धूप से बचाने के लिए बाबा ने बादल की छतरी बनाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया. इसी तरह 15 जून 1991 को घटी एक चमत्कारिक घटना के अनुसार कैंची धाम में आयोजित भक्तजनों की विशाल भीड़ में बाबा ने बैठे-बैठे इसी तरह निदान करवाया कि जिसे यातायात पुलिसकर्मी घंटो से नहीं करवा पाए. थक-हार कर उन्होंने बाबा जी की शरण ली. आख़िरकार उनकी समस्याओं का निदान हुआ. यह घटना आज भी खास चर्चाओं में रहती है. इस तरह की अनेक चमत्कारिक घटनाएं बाबा नीम करौली महाराज जी से जुड़ी हुई है.
नीम करौली बाबा की महासमाधि
बात करें नीम करौली बाबा की महासमाधि के दिन की, तो इसकी भी एक अलग कहानी है. कहा जाता है कि बाबा के आदेश से जब गाड़ी मथुरा में रुकी तो सभी रेलगाड़ी से उतर गए. स्टेशन पर कुछ भक्तों ने बाबा के पैर छूए. कुछ समय बाद बाबा ने अपनी आँखें बंद कर दीं और उनके शरीर से पसीना छूटने लगा. उन्होंने पानी मांगा, और पानी पीने के बाद उन्होंने उन्हें वृंदावन ले चलने के लिए कहा. जब तक एक टैक्सी की व्यवस्था की गई, तब तक बाबा बेहोश हो गए थे. उन्हें आश्रम ले जाने के बजाय, वे उन्हें वृंदावन में रामकृष्ण मिशन अस्पताल ले गए. जहां उन्हें ऑक्सीजन दिया गया. कहा जाता है कि जब उनका बीपी चेक किया जा रहा था.. तब बाबा ने नाक से ऑक्सीजन ट्यूब को खींच लिया. और धीमी आवाज़ में कहा, “ये सब बेकार है. इसके तत्काल बाद, उन्होंने भगवान का नाम तीन बार दोहराया. और फिर उनका शरीर शिथिल पड़ गया. और 11 सितम्बर को आधी रात को बाबा ने हृदयाघात के कारण खुद को अनन्त में विलीन कर दिया.
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