एनडीआरएफ ने जान जोखिम में डाल बचा ली शिव की सवारी ‘साड़ों‘ की जान
लड़ते-लड़ते गिर गये थे 60 फीट गहरे कुएं में, हो गये जख्मी
वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर गुरूवार को दो सांड आपस में लड़ते-लड़ते गहरे कुएं में गिर गये. कुएं में जहरीली गैस थी और दोनों की जान सांसत में फंस गई थी. ऐसे में स्थानीय लोगों की सूचना पर पहुंची 11 एनडीआरएफ की टीम ने अपनी जान जोखिम में डालकर कड़ी मशक्कत के बाद दोनों सांडों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. हालांकि लड़ाई और कुएं में गिरने के दौरान दोनों जख्मी हो गये थे. उन्हें बाहर निकालने के बाद उनका प्राथमिक उपचार भी किया गया.
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यह घटना वाराणसी-आजमगढ़ रोड स्थित कैंट थाना क्षेत्र के सोयेपुर की है. हुआ यह कि दो सांडों का आमना-सामना हुआ और दोनों भिड़ गये. कुछ देर तक जोर आजमाइश होती रही. इतने में एक सांड़ ने दूसरे को धकेला और दोनों करीब 60 फीट गहरे कुएं में जा गिरे. यह देख आसपास के लोग पहुंचे. लोगों ने अपने स्तर से उन्हें निकालने की कोशिश की लेकिन एक ही कुएं में दो सांड़ और वह भी जख्मी, इसके साथ ही कुएं में जहरीली गैस की आशंका से कोई नीचे उतरने का साहस नही जुटा पा रहा था. वैसे भी दो वजनी सांडों को निकालने के पास उनके पास संसाधन भी नही थे. ऐसे में लोगों ने एनडीआरएफ को सूचित किया. ऊपर लोग परेशान और कुएं में फंसे सांड़ बेचैन थे.
सांडों का जिंदा देख होने लगे हर-हर महादेव के उद्घोष
एनडीआरएफ कंट्रोल रूम को मिली सूचना के बादएनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने त्वरित कार्यवाही का टीम को निर्देश दिया और मौके पर भेजा. एनडीआरएफ के उप कमांडेंट नवीन शर्मा की देखरेख और निरीक्षक सुधीर कुमार सिंह के नेतृत्व में घटनास्थल पर पहुंची टीम ने स्थिति का जायजा लिया. कुएं में जहरीली गैस होने की आशंका और गोवंशो की स्थिति को देखते हुए तुरंत कार्यवाही करते हुए एससीबीए सेट लगाकर, रोप रेस्क्यू के माध्यम से रेस्क्यूर को नीचे उतारा गया. फिर अपनी जान जोखिम में डालकर एनडीआरएफ के रेस्क्यूर ने गोवंशों तक पहुंच बनाई.
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गोवंशो को लगी चोटों को ध्यान में रखते हुए उन्हें बांधा और टीम ने रोप रेस्क्यू के माध्यम से सुरक्षित दोनों सांड़ों को कुएं से बाहर निकाला. इसके बाद नगर निगम के माध्यम से गायों को उपचार के लिए पशु चिकित्सालय भिजवाया गया. इस बचाव कार्य में एनडीआरएफ की टीम ने अपनी जान जोखिम में डालकर बेजुबान जानवरों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया है. बेजुबानों को बाहर निकाले जाने के बाद ही स्थानीय लोगों की खुशी का ठिकाना नही रहा. पवित्र श्रावण मास में शिव के वाहन सांडों को जिंदा देख लोग हर-हर महादेव के उद्घोष करने लगे और एनडीआरएफ के बचाव कार्य की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया.