नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इसके बाद अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। शास्त्रों में इस कन्या पूजन का बड़ा महत्व बताया गया है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के प्रतिबिंब के रूप में कन्या पूजन के बाद ही न नवरात्रि व्रत संपन्न माना जाता है।
इस बार अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी।
नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी।
आइए आपको अष्टमी-नवमी तिथि के कन्या पूजन की संपूर्ण विधि और नियमों के बारे में बताते हैं।
कन्या पूजन की विधि व नियम-
- इस दिन 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती है।
- कन्या भोज या पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले आमंत्रित किया जाता है।
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।
- इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं।
- इसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं।
- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें।
- आप नौ कन्याओं के बीच किसी बालक को कालभैरव के रूप में भी बिठा सकते हैं।
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