राष्ट्रीय शिक्षा दिवस आज, जानें क्या है इसका इतिहास और उद्देश्य ?
आज भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) मनाया जा रहा है, जो हर साल 11 नवंबर को भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. मौलाना आज़ाद ने भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए थे, और उनकी नीतियों के कारण भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा मिली. उनके योगदान को याद करते हुए, इस दिन को शिक्षा के महत्व और उसमें सुधार के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं इसका इतिहास, उद्देश्य और कलाम साहब की शिक्षा नीतियां…
इतिहास
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की शुरुआत 11 नवंबर 2008 से हुई, जब भारत सरकार ने मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन को इस दिन के रूप में घोषित किया. मौलाना आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था. उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के कारण उनका योगदान भारतीय समाज में अनमोल है. भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में मौलाना आज़ाद ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नया रूप दिया.
उनकी प्रमुख पहलों में से एक थी, नेशनल टेक्निकल रिसर्च कमीशन (NTRC) की स्थापना, जो तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई थी. इसके अलावा, उन्होंने भारतीय विश्वविद्यालयों और स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार किए और शैक्षिक संस्थानों के लिए अधिक सरकारी धन आवंटित करने की आवश्यकता को महसूस किया. उनका मानना था कि शिक्षा न केवल समाज के विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती है.
उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य है:
शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना:
यह दिन विशेष रूप से यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि शिक्षा समाज की प्रगति और विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. शिक्षा के द्वारा ही समाज में समानता, सामाजिक न्याय और समृद्धि लाई जा सकती है.
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को सम्मानित करना:
इस दिन के जरिए मौलाना आज़ाद की शिक्षा नीतियों और उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है. उनके द्वारा किए गए प्रयासों के कारण भारतीय शिक्षा प्रणाली में अनेक सुधार आए, और उनकी दृष्टि आज भी शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शक सिद्ध होती है.
शिक्षा में सुधार की दिशा में प्रयास:
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का उद्देश्य यह भी है कि शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी कई सुधार की आवश्यकता है. खासकर, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में शिक्षा की स्थिति को सुधारने की जरूरत है. यह दिन इस बात की याद दिलाता है कि शिक्षा सभी वर्गों तक पहुंचनी चाहिए और यह समावेशी होनी चाहिए.
राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देना:
मौलाना आज़ाद ने हमेशा शिक्षा को देश की एकता और अखंडता से जोड़ा. उनका मानना था कि शिक्षा के जरिए विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग एक दूसरे को समझ सकते हैं और समाज में सामंजस्य बनाए रख सकते हैं.
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की शिक्षा नीतियां
मौलाना आज़ाद ने अपने शिक्षा मंत्रालय के कार्यकाल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए थे, जिनका आज भी प्रभाव देखा जाता है:
लिखित और वाचन पाठ्यक्रम का सुधार:
मौलाना आज़ाद ने विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम की संरचना में सुधार किया था. उन्होंने शिक्षा को एक विशेष उद्देश्य के रूप में देखा था, जो विद्यार्थियों को समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए तैयार करे.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना:
मौलाना आज़ाद के मार्गदर्शन में भारतीय उच्च शिक्षा में सुधार के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की गई थी. UGC का उद्देश्य उच्च शिक्षा के संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था, ताकि उनकी गुणवत्ता और पहुंच में सुधार हो सके.
आधुनिक तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा:
मौलाना आज़ाद ने तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थानों की स्थापना की थी, इसके तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसी प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं की नींव रखी गई.
राष्ट्रीय साहित्य सभा:
उन्होंने साहित्य और कला के क्षेत्र में भी सुधार की दिशा में काम किया.उन्होंने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और राष्ट्रीय साहित्य सभाओं का आयोजन किया, ताकि भारतीय समाज में विविधता और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिल सके.
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कौन थे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद?
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (11 नवंबर 1888 – 22 फरवरी 1958) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, विचारक, और भारतीय शिक्षा व्यवस्था के सुधारक थे. उनका असली नाम “अब्दुल कलाम” था, लेकिन बाद में उन्होंने “आज़ाद” उपनाम को अपनाया, जो उनकी स्वतंत्रता की ओर मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते थे. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मौलाना आज़ाद ने महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता के रूप में कार्यरत रहे और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था.
भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा, उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए, जिनमें प्रमुख रूप से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना शामिल है. मौलाना आज़ाद का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से ही समाज में समानता और एकता लाई जा सकती है और इसके लिए उन्होंने शिक्षा को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं बनाई.