नरेश अग्रवाल को मीडियाकर्मियों की सैलरी फूटी आंख नहीं समा रही
समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने शुक्रवार को राज्यसभा में सांसदों के वेतन बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया। सपा नेता ने जैसे ही इस मुद्दे को सदन के सामने उठाया, वैसे ही कई सदस्यों ने पार्टी लाइन से इतर इसका समर्थन किया। हालांकि, सभापति एम.वेंकैया नायडू ने आश्वस्त किया कि वह इस मामले को सरकार के सामने रखेंगे।
नरेश अग्रवाल ने किया मीडियाकर्मियों की आलोचना
वेतन बढ़ोतरी का मामला उठाते वक्त नरेश अग्रवाल ने ये भी कहा कि सदन को मीडिया की आलोचना की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मीडियाकर्मियों को भी एक सांसद से ज्यादा वेतन मिलता है। इसके जवाब में नायडू ने कहा कि “यह गंभीर मामला है। संसदीय मामलों के पूर्व मंत्री होने के नाते, मैंने इसे पढ़ा है. मैं इस मुद्दे को सदन के नेता के समक्ष उठाऊंगा।
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सिएम योगी को संसदीय समिति में वेतन वृद्धि की सलाह
अग्रवाल ने कहा, “पूर्व सदस्य योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने वेतन वृद्धि की सलाह दी थी और यह सलाह दी गई थी कि सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन में बढ़ोतरी की जानी चाहिए और कैबिनेट सचिव के वेतन से सांसदों का वेतन एक रुपये ज्यादा होना चाहिए। जानकारी के मुताबिक इस मुद्दे को संसद के मानसून सत्र में भी उठाया गया था और सांसदों पर वेतन व भत्तों पर संयुक्त समिति ने 2016 में इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में सांसदों के वेतन दोगुना करने का प्रावधान है।
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भत्ता और संसद अधिनियम, 1954 के अनुसार, उनके कार्यकाल के दौरान सांसदों का मासिक वेतन 50,000 रुपये है। कार्य पर रहने के दौरान इन्हें प्रतिदिन 2 हजार रुपये का भत्ता दिया जाता है और यह दैनिक भत्ता इसके लिए तय रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद दिया जाता है। इसके अलावा, सांसदों को प्रतिमाह 45,000 रुपये, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और 45,000 रुपये का कार्यालय संचालन भत्ता मिलता है। इन सब के अलावा, स्टेशनरी सामग्री व डाक खर्च के रूप में 15,000 रुपये दिए जाते हैं।