‘नमो एप’ ने बढ़ाई सांसदों की मुश्किलें, आज देना होगा जवाब

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नरेंद्र मोदी या नमो एप ने बीजेपी सांसदों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। एप पर दिए टास्क को पूरा करने की आज (3 जनवरी) अंतिम तारीख है। एप के लोकसभा एमपी ग्रुप पर 21 दिसंबर को सभी सांसदों को टास्क दिया गया था। उन्हें संसदीय बोर्ड की अगली बैठक से पहले इसे पूरा करने का लक्ष्य दिया गया था। भाजपा संसदीय दल की बैठक बुधवार को है। ऐसे में सांसदों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह हुई बैठक में नमो एप पर दिए गए मैसेज का जवाब नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके बाद टेक्नोलॉजी से दूर रहने वाले पार्टी सांसद भी अपने फोन में नमो एप डाउनलोड करने लगे थे।

पीएम मोदी द्वारा दिया गया है टास्क

पीएम मोदी द्वारा दिए गए टास्क पर बीजेपी के एक सांसद ने बताया कि इसमें छह सवाल दिए गए हैं। इसमें किसी खास सांसद के संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय योजनाओं के अधिकतम और न्यूनतम प्रभावों के बारे में जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा यह भी पूछा गया है कि क्या उस सांसद ने अपने क्षेत्र में फीडबैक मेकेनिज्म बनाया है या नहीं। एक अन्य सांसद ने बताया कि किसी योजना की आलोचना के लिए शब्दों का निर्धारण ही नहीं किया गया है।

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4 लोगों की बनाई गई है टीम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी आईटी सेल में नमो एप को लेकर सांसदों की मदद के लिए चार लोगों को विशेष तौर पर नियुक्त किया गया है। आईटी सेल के एक सदस्य ने बताया कि पार्टी के 250 सांसद नमो एप डाउनलोड या फिर उसे अपडेट करा चुके हैं । इनके अनुसार, बुधवार (3 जनवरी) शाम तक यह काम पूरा हो जाएगा। आईटी सेल के इस सदस्य ने बीजेपी सांसदों के पास दो-दो मोबाइल को सबसे बड़ी समस्या करार दिया है। उन्होंने बताया कि नमो एप को एक्टिवेट करने के लिए आमतौर पर दूसरे मोबाइल नंबर पर ओटीपी जाता है जो संबंधित संसदीय क्षेत्र में स्थित कार्यालय में होता है।

नमो एप में चार ग्रुप

नमो एप में चार ग्रुप बनाए गए हैं। लोकसभा एमपी, राज्यसभा एमपी, काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स और भाजपा पदाधिकारी। पीएम मोदी इस पर हर दिन कुछ न कुछ डालते रहते हैँ। इसका उद्देश्य आपसी संवाद बढ़ाने के साथ कामकाज के स्तर में सुधार लाना बताया जाता है। इसके अलावा किसी भी काम के लिए सर्कुलर जारी करने के बजाय इसे ऑनलाइन ही करने का प्रयास किया जाता है। इसका एक और उद्देश्य अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले स्थानीय स्तर पर रणनीति तैयार करना भी है।

(साभार- जनसत्ता)

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