कभी आतंकी रहे नज़ीर अहमद वानी को ‘अशोक चक्र’

0

जम्मू-कश्मीर के लांस नायक नज़ीर अहमद वानी याद हैं? कोई बात नहीं अगर वानी आपके ज़हन से उतर गए हों। अब शायद वह दो अंकों वाले किसी सवाल का हिस्सा बन जाएंगे, जिसके बाद आप उन्हें नहीं भूलेंगे। जी हां, वानी को इस साल शांति काल में दिए जाने वाले भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिए चुना गया है।

यह खबर ऐसे समय में आई है जब बारामूला को घाटी का पहला आतंक मुक्त जिला घोषित किया गया है। नज़ीर वानी इसलिए याद रखे जाने चाहिए क्योंकि वह कश्मीर में एक उम्मीद जगाते हैं। वानी खुद एक नज़ीर हैं कि बंदूक के रास्ते किसी मंज़िल तक नहीं पहुंचा जा सकता। फिर वह लड़ाई चाहे किसी कौम के लिए हो, विचारधारा के लिए हो या किसी मुल्क के लिए ही क्यों न हो।

जम्मू-कश्मीर की कुलगाम तहसील के अश्मूजी गांव के रहने वाले नज़ीर एक समय खुद आतंकवादी थे। वानी जैसों के लिए कश्मीर में ‘इख्वान’ शब्द इस्तेमाल किया जाता है। बंदूक थामकर वह जाने किस-किससे किस-किस चीज़ का बदला लेने निकले थे। पर कुछ वक्त बाद ही उन्हें गलती का अहसास हो गया और वह आतंकवाद छोड़कर सेना में भर्ती हो गए।

Also Read :  चंदा कोचर के खिलाफ FIR दर्ज, CBI कर रही हैं छापेमारी

बीते साल 23 नवंबर 2018 को जब वानी 34 राष्ट्रीय रायफल्स के साथियों के साथ ड्यूटी पर थे, तब इंटेलिजेंस से शोपियां के बटागुंड गांव में हिज्बुल और लश्कर के 6 आतंकी होने की खबर मिली। इनपुट थे कि आतंकियों के पास भारी तादाद में हथियार हैं। वानी और उनकी टीम को आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।

राष्ट्रपति के सेक्रटरी की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ बताती है, ‘लांस नायक वानी ने दो आतंकियों को मारने और अपने घायल साथी को बचाते हुए सबसे बड़ा बलिदान दिया। खतरा देखते हुए आतंकियों ने तेज गोलीबारी शुरू कर दी और ग्रेनेड भी फेंकने लगे। ऐसे अकुलाहट भरे वक्त में वानी ने एक आतंकी को करीब से गोली मारकर खत्म कर दिया।

‘ 23 नवंबर 2018 के इस एनकाउंटर में वानी और उनके साथियों ने कुल 6 आतंकियों को मार गिराया था। इनमें से दो को वानी ने खुद मारा था। एनकाउंटर में वह बुरी तरह ज़ख्मी हो गए थे और हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था। 26 नवंबर को अंतिम संस्कार से पहले वानी को उनके गांव में 21 तोपों की सलामी दी गई थी। वह अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए।

वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाज़ा जा रहा है, जो भारत का शांति के समय में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। अशोक चक्र के बाद कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र का नंबर आता है। वानी की बहादुरी का अंदाज़ा आप इससे भी लगा सकते हैं कि वह दो बार सेना मेडल भी जीत चुके हैं। वानी के अलावा इस साल चार अफसरों-सैनिकों को कीर्ति चक्र और 12 को शौर्य चक्र से नवाज़ा जाएगा।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More