कभी 40 रुपए में होटल में की नौकरी, आज हैं सबसे बड़े होटल ग्रुप के मालिक
भारत में अगर होटल इंडस्ट्री की बात की जाए और नाम मोहन सिंह ओबेरॉय(Mohan Oberoi) का नाम न लिया जाए तो बेइमानी होगी। क्योंकि भारत में मोहन ओबेरॉय को होटल इंडस्ट्री का जनक कहे जाने पर अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन मोहन ओबेरॉय(Mohan Oberoi) की कहानी उन संघर्षों को भी बयां करती है जो इस साम्राज्य को बनाने के लिए उनके रास्ते में सीना तान कर खड़े थे।
संघर्षों से भरी है मोहन सिंह की कहानी
मोहन के इस विरासत को बनाने में जो मुश्किलें मोहन ने झेली हैं वो भी कम नहीं हैं। पंजाब प्रांत के भाऊन कस्बें (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं) में जन्में मोहन सिंह(Mohan Oberoi) की पढ़ी रावलपिंडी में हुई। बचपन में ही पिता का साया घर से उठ गया जिसकेबाद घर की सारी जिम्मेदारी उनके मां के कंधों पर आ गई। एक महिला पर पूरे परिवार का बोझ चानक से आ जाए तो उसके ऊपर क्या गुजरेगी?
नौकरी के पीछे भागते रहे लेकिन नहीं मिली नौकरी
लेकिन उनकी मां ने हिम्मत और धैर्य नहीं खोया। मोहन सिंह ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश में दर-दर भटकने लगे लेकिन नौकरी नहीं मिल रही थी। तभी उनके इक मित्र ने टाइपिंग और स्टेनोग्राफी सीखने की सलाह दी। लेकिन इसे सीखते हुए मोहन सिंह को एहसास हो गया कि इससे भी उनको नौकरी नहीं मिलने वाली।
20 साल की उम्र में हो गई शादी
शहर में बिना किसी आय के रहना किसी के लिए भी मुश्किल हो जाता है ऐसे में मोहन ने अपने गांव का रुख अपना लिया और गांव वापस आ गए। गांव वापस आने पर उनकी शादी भी कर दी गई। इस समय उनकी उम्र मात्र 20 साल थी और उनकी पत्नी ईसार देवी की उम्र 15 साल। काफी समय तक नौकरी की तलाश करने पर भी उनको नौकरी नहीं मिली।
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एक तरफ मोहन सिंह नोकरी न मिलने से परेशान से तभी उनके गांव में प्लेग नामक महामारी फैल गई और कई लोग इसकी जद में आ गए। इक दिन मोहन सिंह ने अखबार में सरकारी क्लर्क की नौकरी का विज्ञापन देखा और इंटरव्यू के लिए शिमला चले गए। शिमला जाते समय उनकी मां ने 25 रुपए उनकी जेब में रख दिए। शिमला में उन्होंने एक होटल को देखकर बहुत प्रभावित हुए और वहां के मैनेजर से नौकरी के लिए आग्रह किया।
होटल में 40 रुपए पर मिली नौकरी
मैनेजर ने नौकरी पर रख लिया और पगार के तौर पर 40 रुपए मिलने लगे। होटल में नौकरी करते हुए उन्होंने वहां पर सबका दिल जीत लिया। एक बार होटल के मैनेजर का विदेश जाना हुआ तो उन्होंने सारा काम मोहन सिंह को सौंप गए।
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खुद बन गए होटल के मालिक
मोहन सिंह(Mohan Oberoi) ने बहुत ही ईमानदारी से करते रहे। कुछ दिनों के बाद होटल के मालिक होटल को बेंचकर जाने लगे तो मोहन सिंह ने होटल खरीदने का मन बनाया लेकिन बात पैसों पर आकर रुक गई। उन्होंने मालिक से कुछ समय मांगा जिसपर मालिक राजी हो गया। उन्होंने इस होटल को खरीदने के लिए अपनी सारी संपत्ति बेंच दी और होटल के मालिक बन गए।
सबसे बड़ा ग्रुप है ओबेरॉय होटल
इसके बाद मोहन सिंह(Mohan Oberoi) ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक बुलंदियों को छूते चले गए। आज के समय में ओबेरॉय ग्रुप सबसे बड़ा होटल ग्रुप माना जाता है। पूरी दुनिया में अपना बिजनेस फैलाने वाले मोहन सिंह ओबेरॉय साल 2002 में इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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