जन्माष्टमी विशेष : ‘कन्हैया’ आने वाला है
कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम और देशों में भी मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्यौहार हमारे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। अत्याचारी कंस का अंत करने के लिए भगवान ने अवतार लिया था और कंस को उसके पापों की सजा दी थी। कृष्णा की नगरी मथुरा में इस दिन पूरी मथुरा आस्था में डूबी रहती है। हर गली औऱ कूचे में सिर्फ कान्हा के नाम का जयकारा सुनाई देता है। जन्माष्टमी का त्यौहार मनाने के लिए मथुरा में बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं। इस दिन पूरे मथुरा और वृंदावन में कान्हा की धूम मची होती है औरकई दिन पहले से इस जश्न को मनाने के लिए तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
इसलिए मनाते हैं जन्माष्टमी
आज के दिन यानी भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष कीअष्टमी को आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान ने धरती पर जन्म इसलिए लिया था क्योंकि उस समय का अत्याचारी राजा कंस का अत्याचार इतना बढ़ गया था कि प्रजा बहुत ही परेशान हो गई थी।
इस वजह से जेल में देवकी को बंद कर दिया था कंस ने
कंस श्रीकृष्ण के मामा थे। कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को शादी के तुरंत बाद जेल में डाल दिया था, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब देवकी को शादी के बाद विदा कर रहा था तभी भविष्यवाणी हुई कि जिस देवकी को तू डोली में विदा कर रहा है उसी का 8वां बेटा तुम्हारी मौत का कारण बनेगा। ये सुनकर कंस ने वासुदेव और देवकी को जेल में डाल दिया था। कृष्ण ने आधी रात को जन्म लिया। कृष्ण ने कंस का वध कर दिया और वहां की प्रजा को उसके आतंक से छुटकारा दिलाया।
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तभी से मनाते हैं ये त्यौहार
कृष्ण के जन्मदिन पर तभी से लेकर आजतक लोग खुशियां मनाते हैं और कान्हा के नाम का गुणगान करते हैं। इस दिन दही हांडी खेल प्रतियोगिता भी होती है जिसमें लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस खेल में एक मिट्टी के हांडी में दही भरकर उसे काफी उंचाई पर लटका देते हैं फिर ग्रुप में बंटे हुए लोग इसे फोड़ने की कोशिश करते हैं और जो इसे फोड़ देता है उसे विजयी माना जाता है।
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