किसानों को हक दिला कर रहेंगी ये बेटियां
किसान हमेशा प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलता रहता है, कभी सूखा तो कभी बाढ़ उसकी फसल को निगल जाती है। किसी तरह से किसान कर्ज लेकर अपने मेहनत और पसीने से खेत में फसल खड़ी करता है, लेकिन जब कटने की बारी आती है तो बाढ़ बर्बाद कर देती है या फिर आंधी तूफान अपनी चपेट में ले लेता है। ऐसे में किसानों के पास जब कोई रास्ता नहीं बचता तो वो आत्महत्या करने लगते हैं। किसानों की इसी पीड़ा को समझते हुए सरकार ने फसल बीमा योजना शुरू कर रखा है, लेकिन जागरुकता के अभाव में लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।
किसानों को जागरुक करने की पहल
इस योजना के प्रति किसानों को जागरूक करने और इसका उन्हें फायदा दिलाने के लिए दुमका जिले की बेटियों ने बीड़ा उठाया है। वे पूरे जिले में किसानों को इसका लाभ दिलाने को कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है। उनका यह नारा भी एक तरह से फसल बीमा योजना को मजबूत करता दिख रहा है।
गांव की बेटियां लोगों को बताती है बीमा योजना का लाभ
यहां की ये बेटियां गांव के किसानों के बीच जाकर प्रधानमंत्री फसल बीमा के फायदे गिनाकर बीमा करा रहीं हैं। सहकारी बैंक ने तो महिला स्वयं सहायता समूह को इस काम में जोत दिया है। बैंक सेवी महिलाओं के साथ ही इन महिला समूहों का बीमा क्षेत्र में अद्भुत सहयोग मिल रहा है। बैंक प्रबंधन के मुताबिक पिछले माह से प्रारंभ इस व्यवस्था से किसानों तक सहकारी बैंक की पहुंच बहुत आसान हो गई है।
आजीविका समूह से जुड़ रही हैं महिलाएं
लड़कियों-महिलाओं की स्थानीय भाषा में की गई काउंसलिंग कारगर साबित हो रही है। यह प्रयोग पूरे दुमका जिले में चल रहा है। दुमका के मसलिया क्षेत्र में निताय आजीविका समूह से जुड़ी रूपा कुमारी, लक्ष्मी आजीविका समूह से जुड़ी क्षपकी देवी, जय मां काली स्वयं सहायता समूह से जुड़ी कुमारी सोनाली, पार्वती एसएचजी से जुड़ी छवि देवी, मां सरस्वती एसएचजी की वीणा देवी, मानव बहादुरी से जुड़ी मालती सोरेन, ताज आजीविका समूह की जरीना बीबी, खादीजा खातून अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।
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गांव में किसानों के फॉर्म भी भरती हैं महिलाएं
गांवों में इन महिलाओं के स्तर से चौपाल लगाकर फसल बीमा की खासियत के बारे में जानकारी दी जा रही है। बैंक प्रबंधन के मुताबिक बीते एक माह में हजारों की संख्या में फसल बीमा हुआ। प्रखंड में करीब सौ महिलाएं इस काम में जुटी हैं। पुरुषों की तुलना में लड़कियां और महिलाएं इस क्षेत्र में बेहतर कर रही हैं। एक हजार से अधिक किसानों का फसल बीमा अभी तक हो चुका है।दिलीप कुमार, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी, मसलियाअपनी भाषा में बीमा के बारे में जानकारी मिलने से समझना काफी आसान हो गया। जान-पहचान का एजेंट होने से सहूलियत हो रही है।1वंशी टुडू लाभुक,जीतपुर, दुमका अब तक 89000 किसानों का बीमा हो चुका है।
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